आदमपुर (अग्रवाल)
अनाज मंडी में किसानों की फसल सुरक्षित नहीें है। अनाज की सफाई के नाम पर किसानों को काफी चूना लगाया जा रहा है। किसानों की खून—पसीने की कमाई को सफाई के नाम पर चुराया जा रहा है। हर साल होने वाली इस चोरी को रोकने के लिए ना तो मार्केट कमेटी के अधिकारी गंभीर है और ना ही आढ़ती। इसका खमियाजा पूरी तरह से किसान को उठाना पड़ रहा है।
आदमपुर की अनाज मंडी में काफी मात्रा में किसानों की उपज को सफाई के नाम पर चुरा लिया जाता है। पंखा लगाकर सफाई करने के नाम पर किसानों की उपज को भूसे में मिलाकर चुराया जा रहा है। चोरी का ये बिजनेस हजार या लाख रुपए का नहीं है बल्कि हर साल करोड़ों रुपयों का है। इस सीजन की बात की जाए तो इस बार किसानों ने सरसों की फसल से अनाज मंडी का रुख किया। सरसों की फसल शुरुआती दौर नमी के नाम पर अनाज मंडी में पड़ी रही। इसके बाद इसकी खरीद आरंभ हुई तो यहां पर बम्पर पैदावार आनी आरंभ हो गई।
आदमपुर में शुरुआत 20—25 दिनों में रोजना करीब 5 से 7 हजार क्विंटल सरसों में आई। हालांकि सरकारी आंकड़ों में यह महज 2 से 3 हजार क्विंटल के बीच ही दर्ज की गई थी। इतनी सरसों के आने के बाद यहां पर फसल को पंखा लगाने का काम आरंभ हुआ। बड़े अनुमान के अनुसार भूसे के साथ यहां उस दौरान रोजना 60 से 80 क्विंटल तक सरसों की चोरी हुई। इसके बाद अब सरकारी खरीद आरंभ होने के बाद सफाई को लेकर और भी कड़े नियम बनाये गए है। इसके चलते पंखा लगाने वालों की चांदी बन आई है। पिछले दो सप्ताह के दौरान 50 क्विंटल सरसों रोजाना भूसे के साथ मिलाकर चुराई गई है। इस प्रकार देखा जाए तो अकेले सरसों की फसल में ही आदमपुर की अनाज मंडी में किसानों को करीब 70—80 लाख रुपए की चपत अब तक लग चुकी है। सरसों की खरीद यहां 5 मई तक चलने का अनुमान है। ऐसे में केवल सरसों की फसल में सफाई के नाम पर चोरी की बिजनेस 1 करोड़ रुपए के आंकड़े को छूने का अनुमान है।
सरसों के साथ ही इस समय गेहूूं आने लगी है। गेहूं, ग्वार, कपास व अन्य फसलों में भी ये चोरी का बिजनेस लगातार चलता रहता है। आदमपुर में चोरी के इस बिजनेस के फलने—फूलने का सबसे बड़ा कारण झार के दाने लेने की दुकान अनाज मंडी के अंदर और आसपास होना है। इन दुकानों पर झार के दानों के बीच बड़ी मात्रा में चोरी के दाने मिलाकर बेच दिए जाते है। हलांकि कोई भी दुकानदार यहां चोरी की उपज सीधी नहीं खरीदता लेकिन झार के दानों के बीच चोरी की फसल मिक्स हो जाने के कारण उन्हें ये भी पता नहीं चलता कि उनके पास आने वाले दाने झार के है या चोरी के।
यहां पर कई बार व्यापार मंडल ने इन झार की दुकानों को अनाज मंडी से बाहर करने की मांग मार्केट कमेटी से की है। लेकिन अधिकारियों ने इस पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया। इस दौरान कुछ झार वालों नेे आढ़त का लाइसेंस भी बनवा लिया, इसके चलते अब इन्हें अनाज मंडी से बाहर नहीं किया जा सकता। कुल मिलकार कहा जा सकता है कि मार्केट कमेटी के अधिकारियों की लापरवाही और आढ़तियों की अनदेखी के चलते आदमपुर की अनाज मंडी में किसानों को काफी चपत लग रही है। साथ ही यहां पर झार के दानों के बीच चोरी के दानों का मिक्स होकर जाने का बिजनेस काफी फल—फुल रहा है।