नई दिल्ली,
गुरुग्राम और मुंबई को जोड़ने के लिए सरकार जल्द ही एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य शुरू करने जा रही है। इसके बनते ही गुरुग्राम और मुंबई के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी। ये एक्सप्रेस वे हरियाणा के मेवात और गुजरात के दाहोत से होकर गुजरेगा, जो पिछड़े जिले माने जाते हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मीडिया को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस एक्सप्रेस वे की कुल लागत 60 करोड़ रुपये पड़ेगी। इसे तीन साल में तैयार करने की टारगेट है।
ट्रेन से भी जल्दी कार से पहुंचेंगे मुंबई
एक्सप्रेस वे बनने से गुरुग्राम और मुंबई के बीच की दूरी 1450 किलोमीटर से घटकर 1250 हो जाएगी। 200 किलोमीटर कम हो जाने से व्यक्ति मुंबई सिर्फ 12 घंटे में पहुंच सकेगा। फिलहाल दिल्ली से मुंबई जाने में करीब 24 घंटे का समय लगता है। एक्सप्रेस वे के बन जाने पर जो ट्रेवल टाइम लगेगा वो ट्रेन की यात्रा से भी कम होगा। दिल्ली से मुंबई के बीच सबसे जल्दी पहुंचाने वाली मुंबई राजधानी भी करीब 16 घंटे लेती है, बाकी ट्रेनें 17 घंटे से लेकर 32 घंटे तक लेती हैं।
दिसंबर में शुरू होगा काम
नितिन गडकरी ने बताया कि इसका काम इस साल दिसंबर में शुरू होगा जो अगले तीन साल में पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि, इस एक्सप्रेस वे के वडोदरा-सूरत के बीच के रूट के लिए टेंडर दे दिया गया है। कुछ दिनों में सूरत-मुंबई तक के रास्ते के लिए भी टेंडर निकाला जाएगा। गडकरी ने कहा कि, इस एक्सप्रेस वे के बनने से राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के कई पिछड़े जिलों को विकास का मौका मिलेगा और वहां की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। औद्योगिक और वाणिज्यिक विकास के कारण रोजगार भी बढ़ेगा। हम अब पुराने हाईवे को ही आगे बढ़ाने की जगह नए इलाकों में हाईवे निर्माण करने पर काम कर रहे हैं।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे चंबल हाईवे से जुड़ने के साथ ही जयपुर, कोट, सवाई माधोपुर, उज्जैन, गोधरा और अहमदाबाद जैसे कई दर्जन क्षेत्रों को जोड़ेगा। इसके साथ ही गुरुग्राम-वडोदरा खंड के साथ हाई स्पीड रेल गलियारे के लिए प्रावधान करने का भी प्रस्ताव है।
एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य एक साथ 40 स्थानों पर शुरू होगा, ताकि इसका जल्द से जल्द उपयोग किया जा सके। ये सड़क चूंकि पिछड़े व कम विकसित क्षेत्रों से भी गुजरेगी इसलिए भूमि अधिग्रहण के लिए भी खर्चा कम होगा। गुरुग्राम-वडोदरा खंड के लिए भूमि अधिग्रहण पर करीब 5 से 6 हजार करोड़ का खर्चा आया है। ये कीमत दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस वे के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण की कीमत का सिर्फ एक तिहाई है।