हिसार

आदमपुर में गेहूं खरीद के दौरान विवाद..फूड इंस्पेक्टर से छिना रजिस्ट्रर, आदमपुर पुलिस को दी मामले की शिकायत

आदमपुर (अग्रवाल)
आदमपुर अनाज मंडी में मंगलवार शाम को खरीद के दौरान उस समय हंगामा हो गया जब खाद्य आपूर्ति विभाग के निरीक्षक से बीसीपीए ने प्रचेज रजिस्ट्रर छिन लिया। बाद मेंं फूड इंस्पेक्टर रणबीर सिंह ने मामले की शिकायत आदमपुर पुलिस का दी है। निरीक्षक रणबीर सिंह ने बताया कि मंगलवार शाम को वे उपनिरीक्षक अनुराग के साथ गेहूं खरीद का कार्य कर रहे थे। प्रचेज रजिस्ट्रर में आढ़तियों की गेहूं दर्ज करने के दौरान बीसीपीए आया और मनमर्जी दिखाते हुए अपने हिसाब से गेहूं लिखने की बात कही। आरोप है कि इस दौरान बीसीपीए ने फूड इंस्पेक्टर रणबीर सिंह से प्रचेज रजिस्ट्रर छिन कर ले गया।
रणबीर सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा गेहूं की पेमेंट के भुगतान के लिए अनाज मंडी की दो फर्मों को बीसीपीए नियुक्त किया गया है। इनमें से सोमवार को ही दूसरे बीसीपीए की नियुक्ति की गई थी। नियुक्ति के बाद मंगलवार को दूसरे बीसीपीए को अधिकृत किया गया था। मामले का पता लगते ही भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष एवं निगरानी कमेटी सदस्य सुभाष जैन थाने में पहुंचे और कहा कि मामले में ढिलाई नही बरती जाएगी। जैन ने थाना प्रभारी सुनील कुमार से बात कर पूरे मामले से अवगत करवाया। एसआइ सुंदरलाल ने बताया कि सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने की शिकायत पुलिस को मिली है। बुधवार को सुबह 11 बजे थाने में दोनों पक्षों को बुलाया गया है जिसके बाद ही आगामी कार्यवाही की जाएगी।
गेहूं खरीद कार्य पर पड़ेगा असर
मंगलवार को रजिस्ट्रर छिनने की घटना के बाद अगर बुधवार को कोई कार्यवाही नही होती है तो गेहूं खरीद पर खतरे के बादल मंडरा सकते है। विभाग को रजिस्ट्रर न मिलने पर जहां खरीद कार्य ठप होकर रह जाएगा वहीं इंस्पेक्टर के बिना हस्ताक्षर के पेमेंट भी जारी नही हो पाएगी।
बीसीपीए का कार्य पेमेंट का भुगतान
जानकारी के मुताबिक आपूर्ति विभाग प्रत्येक अनाज मंडी में सीजन के दौरान बिलिंग कम पेमेंट एजेंट (बीसीपीए) के रूप में नियुक्ति करती है। बाकायदा उसे लाइसेंस लेना पड़ता है और एक अनुबंध साइन करना होता है। बीसीपीए आम तौर पर आढ़तियों के बीच में से ही एक व्यक्ति होता है। बीसीपीए आपूर्ति विभाग के लिए ही काम करता है। मंडी के आढ़ती सरकारी खरीद के बिल इसी बीसीपीए के पास जमा करवाते हैं जो खरीद एजेंसी को वह बिल जमा करवाता है। उसके आधार पर सरकारी खरीद एजेंसियां भुगतान बीसीपीए के खाते में करती है और इसके बाद बीसीपीए आढ़तियों के बिलों के अनुसार उन्हें भुगतान करता है।

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