अहमदाबाद,
2002 के नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत मिली है। गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में उन्हें निर्दोष करार दिया है। वहीं हाईकोर्ट ने बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया है। आपको बता दें कि विशेष अदालत ने बाबू बजरंगी को जिंदगी की आखिरी सांस तक कारावास की सजा सुनाई गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने इसे घटाकर 21 साल की सजा कर दी है। बाबू बजरंगी के अलावा हरेश छारा, सुरेश लंगड़ा को भी दोषी करार दिया गया है।
16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था। 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले रोज जब गुजरात में दंगे की लपटें उठीं तो नरोदा पाटिया सबसे बुरी तरह जला था। आपको बता दें कि नरोदा पाटिया में हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इसमें 33 लोग जख्मी भी हुए थे।
ये रहा गुजरात हाईकोर्ट का फैसला –
बाबू बजरंगी – दोषी
किशन कोराणी – दोषी
प्रकाश राठौड़ – दोषी
सुरेश लंगड़ा – दोषी
मुरली हिंदी – दोषी
नरेश छारा – दोषी
गणपत छनाजी – दोषी
हरेश छारा – दोषी
माया कोडनानी – निर्दोष
गणपत निदावाला – निर्दोष
विक्रम छारा – निर्दोष
नरोदा पाटिया नरसंहार को जहां गुजरात दंगे के दौरान हुआ सबसे भीषण नरसंहार बताया जाता है, वहीं ये सबसे विवादास्पद केस भी है। ये गुजरात दंगों से जुड़े नौ मामलों में एक है, जिनकी जांच SIT ने की थी।