हिसार,
फतेहाबाद में कार्यरत एक विजिलेंस अधिकारी को रिश्वत केस में रंगेहाथ पकड़ने की कोशिश धरी की धरी रह गई। चर्चाएं है कि विजिलेंस अधिकारी को पकड़ने के लिए हिसार, फतेहाबाद व टोहाना सीआईडी ने संयुक्त रूप से एक टीम का गठन करके कार्रवाई करने का प्लान बनाया था लेकिन मौके पर विजिलेंस अधिकारी के न पहुंचने पर कोई खास सफलता टीम को नहीं मिल पाई।
जानकारी के मुताबिक, फतेहाबाद जिले के ढांड में बने वेयर हाउस के गोदाम निर्माण में हुई धांधली की जांच फतेहाबाद विजिलेंस अधिकारी के पास थी। आरोप है कि जांच के दौरान कुछ अधिकारियों से विजिलेंस अधिकारी ने 40 लाख रूपए की रिश्वत मांगी। इसके चलते पहली किश्त 25 लाख रूपए के रूप में दी जा चुकी थी। इसकी भनक सीआईडी को लग गई। सीआईडी ने मामले की जांच करने की ठानी।
इसी दौरान पता चला कि बुधवार को रिश्वत की दूसरी किस्त दी जानी है। इसके बाद सीआईडी की टीम सतर्क हो गई। बताया जा रहा है कि रिटायर्ड कनिष्ठ अभियंता एमएल नारंग ने दूसरी किस्त के रूप में 7 लाख रूपए फतेहाबाद में देने थे। आरोप है कि विजिलेंस अधिकारी ने उसे फतेहबाद के स्थान पर एक गांव में बुला लिया। जैसे ही रिटायर्ड कनिष्ठ अभियंता बताए गए गांव में पहुंचा तो उसे हिसार आने को बोला गया। हिसार आने पर विजिलेंस अधिकारी ने मिलने से इंकार करते हुए उसे कल आने को कहा। बाद में सीआईडी टीम ने हिसार कैंप चैक के पास रिटायर्ड कनिष्ठ अभियंता को रोककर तलाशी ली तो उनके पास से मिठाई के डिब्बे से 7 लाख रूपए बरामद हुए।
रिटायर्ड कनिष्ठ अभियंता का कहना है कि ये राशि विजिलेंस अधिकारी को दी जानी थी। कहानी का दूसरा पहलू ये भी है कि विजिलेंस अधिकारी कहीं भी आरोप लगाने वाले से नहीं मिला और ना ही मौके पर पकड़ने गई टीम को मिला। ऐसे में हो सकता है विजिलेंस अधिकारी को किसी साजिश का शिकार बनाने का प्रयास आरोपी पक्ष द्वारा किया जा रहा हो। ऐसा भी हो सकता है कि आरोपी विजिलेंस अधिकारी को इस जांच हटाने के लिए साजिश रच रहा हो, क्योंकि सीआईडी टीम को विजिलेंस अधिकारी पूरे प्रकरण में कहीं भी व्यक्तिगत रूप से दिखाई नहीं दिया। वहीं सोशल मीडिया पर आई विडियों में भी विजिलेंस अधिकारी कहीं दिखाई नहीं दे रहा।
मामला चाहे जो भी हो लेकिन इस मामले के सामने आने से हिसार-फतेहाबाद के लोगों में सच्चाई जानने की उत्सुकता पैदा हो गई है। ऐसे में अब देखना है कि मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है। फिलहाल मामले पर ना तो सीआईडी कुछ बोलने को तैयार है और ना पुलिस अधिकारी कुछ बता रहे है। ऐसे में ये मामला महज कयास तक ही सीमित है।