हिसार,
कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह ने कहा है कि हरियााणा सरकार ने किसानों और आढतियों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया हैं। सरकार ने घोषणा की थी कि किसान के उत्पादन का एक-एक दाना सरकारी रेट पर खरीदेगी लेकिन पहले तो सरकार ने अनेक शर्तें लगाकर किसानों की मंडियों में गेहूं ओर सरसों खरीदने में दलालों की मार्फत करोडों रूपये कमाये और अब गेहूं और सरसों की सरकारी खरीद भी बंद कर दी जिससे किसान की आखों में खून के आंसू बह रहे हैं।
एक बयान में प्रो. संपत सिंह ने कहा कि सरकारी खरीद बंद होने से किसानों की गेहूं, सरसों व सब्जी औने-पौने भाव में बिक रही है। मंडियों में कई-कई दिनों तक गेहूं तथा सरसों के ढेर पड़े रहते हैं पर सरकार जानबूझकर इनकी बोली नहीं करवाती। इसी तरह टमाटर की फसल मंडियों में 50 पैसे प्रति किलो भी लेने कोई भी तैयार नहीं है, जबकि उपभोक्ता को आज भी टमाटर 10 रूपये किलो मिल रहा हैं। सरकारी बिचौलिये किसान और उपभोक्ता दोनों को लूट रहे हैं। कृषि मंत्री ओपी धनखड़ की भांवातर योजना किसानों के लिए लाभकारी साबित होने की बजाय जुमला बनकर रह गई है। किसानों को अब टमाटर और पहले आलू सड़कों पर फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ा। मौजूदा सरकार की दमनकारी तथा किसान विरोधी नीतियों के कारण कर्जा चुकाने में असमर्थ होकर किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है। कृषि मंत्री ओपी धनखड़ विपक्ष में रहते हुए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करवाने के लिए अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करते थे, परन्तु सत्ता में आने के बाद स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट को ठण्डे बस्ते में डाल दिया।
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प्रो. संपत सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार ने गेहूं और सरसों की जितनी खरीद की हैं उसकी कीमत प्राप्त करने के लिए किसान कई-कई दिनों तक दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। किसान संकट से गुजर रहा है और मुख्यमंत्री इजरायल की खेती की जानकारी के बहाने दर्जनों अधिकारियों के साथ सैर सपाटे कर रहे है। उन्होंने कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविधालय इन कार्यों के लिए सक्ष्म हैं। सैर सपाटे पर खर्च आने वाली राशि कृषि विश्वविधालय में वैज्ञानिकों के पद भरने व रिसर्च में खर्च करें तो किसानों के हित में हमारे कृषि विज्ञानिक नई-शोध करके किसानों को लाभ पहुंचा सकते है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह अपने खरीदबंदी आदेश तुरंत वापिस लें व किसानों की शेष गेहूं व सरसों की खरीद तुरंत शुरू करें।