आदमपुर (अग्रवाल)
समय पर नहरी पानी नहीं मिलने से किसानों के लिए नरमा-कपास की बिजाई का लक्ष्य पूरा करना संभव नहीं है। आदमपुर खंड के करीबन सभी गांवों में सिंचाई पानी के अभाव ने किसानों के माथे पर चिंता लकीरें खींच दी है। इस बार लंबी नहर बंदी के कारण खेत हरियाली से अछूते रह सकते हैं। सिंचाई के अभाव में किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं वहीं कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया बिजाई लक्ष्य भी अधूरा रह सकता है। क्षेत्र के किसानों ने ज्यों-त्यों टयूबवैलों का सहारा लेते हुए दोहरी मार झेलकर फसलों की बिजाई की है।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को नरमा-कपास की फसल की औसतन पैदावार लेने के लिए फसल की बिजाई 10 मई तक करने की सलाह दी थी मगर नहर कीपिछले कई दिनों से बंदी होने के कारण क्षेत्र के किसान नरमा-कपास की बिजाई समय पर नहीं कर पाए है। कृषि विभाग की माने तो इस समय नरमा-कपास की बिजाई 30-35 फीसदी हुई है वहीं किसान इसे और भी कम बता रहे है। पानी के अभाव में कृषि विभाग द्वारा रखा गया लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।
क्षेत्र में टयूबवैलों का पानी खारा एवं लवणीय होने के कारण फसलों को सही रूप से लाभ प्रदान नहीं हुआ है और फसलें पूर्ण रूप से अंकुरित नहीं हो पाई है। किसानों का कहना है कि नरमा-कपास की बिजाई निर्धारित समय पर करने के लिए उन्हें टयूबवैलों का ही सहारा लेना पड़ रहा है क्योंकि सिंचाई विभाग द्वारा क्षेत्र की नहरों को करीब एक माह से ज्यादा बंद होने से बिजाई पर असर पड़ेगा ही।
किसान सुशील बिश्नोइ, रघुनाथ सैनी, मनोहरलाल यादव, सूरजमल, दलीप सिंह बैनीवाल, सुरेश भादू, चरत सिंह, विनोद बैंदा, कुलदीप यादव, जगदेव आदि ने बताया कि इस बार महंगे किस्म के बीजों का उपयोग करते हुए टयूबवैलों से सिंचाई कर फसलों की बिजाई की मगर लंबी नहर बंदी ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
इन किसानों ने बताया कि नरमा-कपास की फसल की सिंचाई के लिए नहरों में पानी के अभाव के चलते कृषि भूमि सिंचित नहीं की जा सकी वहीं टयूबवैलों से सिंचित की गई भूमि के खारे पानी में लवणता अधिक होने के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
वहीं लचर बिजली व्यवस्था के कारण टयूबवैलों से भी सिंचाई करना एक चुनौती का सामना करने के बराबर है। क्षेत्र के किसानों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि नहरों में पानी एक सप्ताह की बजाय दो सप्ताह तक छोड़ा जाए ताकि किसान कृषि भूमि को नहरी पानी से सिंचित कर फसलों की बिजाई कर सके।
फसल के उत्पादन पर पड़ेगा असर: डा.वीरभान
आदमपुर खंड कृषि अधिकारी डा.वीरभान ने बताया कि समय पर बिजाई न होने से फसलों में जहां बीमारियां आएंगी वहीं उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। कॉटन की बिजाई 10 मई तक पूरी हो जानी चाहिए थी। इसके बाद जितना लेट होगा उसका झाड़ कम होगा और बीमारियां भी ज्यादा आएगी। किसानों को 25 अप्रैल से 15 मई तक पूरा पानी मिलना चाहिए ताकि किसान समय पर बिजाई कर सके।