नई दिल्ली,
सीसीटीवी कैमरे लगवाने के प्रोजेक्ट पर राजनीतिक घमसान बढ़ता जा रहा है। इस कड़ी में सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को उप राज्यपाल के दफ्तर तक पैदल मार्च किया और इसके बाद वहीं पर धरना दे दिया। सीएम केजरीवाल के साथ तमाम मंत्री और विधायक भी धरने पर बैठ गए हैं।
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के दवाब में आकर उपराज्यपाल अनिल बैजल सीसीटीवी प्रोजक्ट को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली के एलजी ने इस प्रोजेक्ट से जुड़ी फाइल को मंजूरी नहीं दी है जबकि केजरीवाल सरकार इस कदम को महिला सुरक्षा की दिशा में बड़ा फैसला बताती आई है।
LG साहब ने कल खुद ही कहा कि दिल्ली में 2 लाख CCTV कैमरे लगे हुए हैं तो जिस प्रोसेस से जिस कानून के तहत वह कैमरे लगे हैं उसी कानून के तहत बाकी के कैमरे भी लगने दें यह कमेटी बनाकर कैमरे लगने से LG साहब क्यों रोक रहे हैं," @msisodia #LGDontStopCCTVs pic.twitter.com/0zTQyYyLAm
— Amit Mishra (@Amitjanhit) May 14, 2018
दिल्ली सरकार का आरोप है विपक्ष में बैठी बीजेपी एलजी के जरिए इस प्रोजक्ट को रोक रही है। साथ ही AAP का कहना है कि ऐसा करने से जाहिर होता है कि महिला सुरक्षा को लेकर बीजेपी का क्या रवैया है। एलजी दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे सभी विधायक उपराज्यपाल से मिलना चाहते हैं जबकि AAP के मुताबिक उपराज्यपाल ने सिर्फ सीएम केजरीवाल और कैबिनेट मंत्रियों को ही मुलाकात के लिए वक्त दिया है।
This proves our point. That this committee is meant to stop CCTV cameras in Delhi. https://t.co/Qye8IROGby
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 14, 2018
विपक्षी दल बीजेपी और कांग्रेस इस परियोजना में घोटाले का आरोप लगा रहे हैं। इस बाबत दिल्ली में रोज विपक्षी दलों की ओर से केजरीवाल सरकार के खिलाफ धरना और प्रदर्शन किए जा रहे हैं। बीजेपी-कांग्रेस की मांग है कि इस परियोजना को निरस्त किया जाए।
SHARE MAX
LG is bound under the constitution to meet the elected representatives
This is an insult to the People of Delhi that LG saheb is refusing to meet the MLAs : @ArvindKejriwal #LGDontStopCCTVs pic.twitter.com/kDWyCB9xov
— AAP Ka Mehta (@DaaruBaazMehta) May 14, 2018
दिल्ली कांग्रेस ने रविवार को इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार के खिलाफ कैंडल मार्च किया था। पार्टी का आरोप है कि दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत 130 करोड़ थी जिसको टेन्डर शर्तों में छूट देकर 571.40 करोड़ कर दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने आरोप लगाया कि इस प्रोजक्ट के जरिए केजरीवाल सरकार जनता की गाढ़ी कमाई को खाने की योजना बना रही है।