नई दिल्ली,
कर्नाटक चुनाव परिणामों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन कांग्रेस-जेडीएस की रणनीति ने बीजेपी को सत्ता से दूर कर दिया है। अब तक कांग्रेस और जेडीएस की रणनीति कामयाब रही है। चुनाव से पूर्व जेडीएस खुद को किंगमेकर मान रही थी, लेकिन परिणाम ने उसे किंग बना दिया है। इस बीच बीजेपी के पास एक आखिरी दांव बचा है जिसे चलकर पार्टी जेडीएस-कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती हैं।
कांग्रेस की BJP रोको रणनीति
फिलहाल कांग्रेस 78 सीटों पर या तो जीत दर्ज कर चुकी है या फिर आगे चल रही है। लेकिन उसने बीजेपी को रोकने के लिए जेडीएस को समर्थन का ऐलान कर दिया है। यही नहीं, कांग्रेस ने CM की कुर्सी का मोह भी छोड़ दिया। यहां कांग्रेस का एक ही मकसद है कि किसी भी तरह से बीजेपी को सत्ता से दूर रखा जाए।
BJP की राह पर कांग्रेस
पिछले दिनों गोवा, मणिपुर और मेघालय में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सरकार नहीं बना पाई। क्योंकि परिणाम आने के पहले से बीजेपी ने प्लान-बी पर काम करना शुरू कर दिया था और कांग्रेस बहुमत की आस में बैठी थी। परिणामस्वरूप कांग्रेस बड़ी पार्टी होकर भी सत्ता से चूक गई और बीजेपी की रणनीति काम कर गई। तीनों राज्यों में बीजेपी ने सहयोगियों की मदद से सरकार बना ली। लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत प्लान बी में लगे थे, और जैसे ही बीजेपी बहुमत से कुछ दूर हुई और इनकी मेहनत रंग लाई। पहले से जेडीएस से चल रही बातचीत को अंतिम रूप दे दिया गया। यही नहीं, फिलहाल बीजेपी कांग्रेस के इस दांव से बैकफुट पर आ गई है।
जेडीएस के दोनों हाथ में लड्डू
चुनाव पूर्व जेडीएस अपने दम पर सरकार बनाने का दावा कर रही थी। लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना था कि जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में होगी। क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ये पता था कि अगर त्रिशंकु विधानसभा हुआ तो फिर जेडीएस के बिना सरकार बनाना संभव नहीं है। ऐसे में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी नेता से जेडीएस पर सीधे हमले से बचते दिखे। बीजेपी ने संकेत भी दिया था उसे जेडीएस से परहेज नहीं है। लेकिन जिस तरह से चुनाव परिणाम आए हैं, उससे कर्नाटक की डोर इस वक्त जेडीएस के हाथ में है। बीजेपी और कांग्रेस उससे ज्यादा सीटें जीतकर भी उसके आगे झुक रही है और अब कांग्रेस ने समर्थन का ऐलान भी कर दिया है।
बीजेपी के पास विकल्प
इस बीच बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। येदियुरप्पा ने कर्नाटक के राज्यपाल ने मिलकर अपना दावा पेश कर दिया है। लेकिन आंकड़े पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में बीजेपी के एक पास पहला विकल्प है कि वो विपक्ष में बैठे। वहीं अगर राज्यपाल बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए मौका देते हैं तो ऐसी सूरत में बीजेपी की कोशिश होगी कि सरकार के खिलाफ विपक्ष में वोट कम पड़े। यानी फ्लोर में विपक्षी विधायकों की संख्या कम हो, ताकि आसानी से विधानसभा में मौजूदा बहुमत के आंकड़े को छुआ जाए और अल्पमत की सरकार बन जाए।