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गुजरात चुनाव को लेकर सटोरियों ने खेला इस पार्टी पर बड़ा दांव

गांधीनगर,

गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। ये 1 और 5 दिसंबर को दो चरणों में होंगे। तमाम सर्वे चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की वापसी की बात कह रहे हैं। सट्टा बाजार भी बीजेपी की धमाकेदार जीत पर दांव लगा रहा है। सटोरियों को उम्‍मीद है कि इस चुनाव में बीजेपी लगभग दो दशकों में सबसे अधिक सीटें हासिल करेगी। बीजेपी को 125-130 सीटें मिलते दिख रही हैं। कांग्रेस को 29-33 और आम आदमी पार्टी को 20-24 सीटें दी गई हैं। सट्टेबाजों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सट्टा या अवैध बाजार में कारोबार करीब 40,000-50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। सवाल उठता है कि सटोरियों को आखिर बीजेपी की इतनी तगड़ी जीत पर कैसे भरोसा है।

पटेल फैक्टर है नदारद
2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 182 सीटों वाली राज्य विधानसभा में 127 सीटें जीती थीं। सटोरियों को लगता है कि इस बार पार्टी को कम से कम 120 सीटें मिल सकती हैं। इस तरह के यकीन के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि पार्टी को 2017 के उलट प्रमुख पटेल समुदाय से किसी भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया का सामना नहीं करना पड़ रहा है। तब बीजेपी की सीटों की संख्या 99 तक गिर गई थी। ये 2002 के बाद से सबसे कम थीं। पटेल समुदाय तब आरक्षण की मांग को लेकर बीजेपी से खफा था।

2017 के चुनावों के दौरान पटेल आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल इस साल जून में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। पटेल समुदाय राज्य की आबादी का 12-14 फीसदी है। सट्टेबाजों का कहना है कि वे सामूहिक रूप से बीजेपी को वोट देंगे।

कांग्रेस को आप लगाएगी चूना
जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो पार्टी को प्रमुख रणनीतिकार और गांधी परिवार के लंबे समय से सहयोगी रहे अहमद पटेल की कमी खलेगी। अहमद पटेल की काडर जुटाने में बड़ी भूमिका रही थी। पटेल की 2020 में मल्‍टी ऑर्गन फेलियर से मौत हो गई थी। कांग्रेस के लिए सीट टैली 15 से 30 के बीच सीमित रहने के आसार हैं। 2017 की 77 सीट से इसमें भारी गिरावट की आशंका है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी कांग्रेस की 10-20 सीटों को चूना लगाएगी। सट्टेबाजों के अनुसार, राज्य में मजबूत नेतृत्व की कमी के कारण पार्टी के अल्पसंख्यक वोट विभाजित होने की संभावना है।

सटोरियों के मुताबिक, इसी तरह के रुझान हिमाचल प्रदेश में भी दिखाई दे रहे हैं। इस पहाड़ी राज्‍य में 12 नवंबर को चुनाव होने हैं। वहां भी बीजेपी के सत्ता में बने रहने की उम्मीद है। सत्ता विरोधी लहर के ज्यादा भूमिका नहीं निभाने के आसार हैं।

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