हरियाणा

आदमपुर उपचुनाव ने बदले राजनीति के कई समीकरण

आदमपुर,
आदमपुर उपचुनाव के नतीजे एक बार फिर चौ.भजनलाल परिवार के हक में आए है। अब उनकी तीसरी पीढ़ी ने आदमपुर विधानसभा के जरिए सत्ता की राजनीति आरंभ करने जा रही है। भव्य बिश्नोई ने आदमपुर उपचुनाव के रण को जीतकर ना केवल चौधरी भजनलाल के वारिश के रुप में स्वयं को स्थापित कर लिया है बल्कि 1991 से लगातार आदमपुर में कमल खिलाने की कोशिश में जुटी भाजपा को भी पहली बार जीत का ताज गिफ्ट किया है। 1967 से लेकर 2022 तक कुल 13 सामान्य जबकि चार उपचुनाव हुए हैं। यहां 11 बार कांग्रेस को जीत मिली है जबकि 4 बार हजकां के विधायक चुने गए हैं। वहीं एक—एक बार इस सीट पर जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है।

आदमपुर उपचुनाव की जीत के साथ ही भाजपा ने भी राहत की सांस ली है। इससे पहले प्रदेश में लगातार 3 उपचुनाव हारने के बाद विपक्षी लगातार सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे थे। लेकिन इस जीत ने विपक्ष के मुंह पर ताला लगाने का काम किया है। 2024 के आम चुनाव के सेमीफाइनल के रुप में लड़े गए इस उपचुनाव में कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सांसद बेटे दिपेंद्र सिंह हुड्डा को सेनापति के रुप में मैदान में छोड़ रखा था। उन्होंने आदमपुर उपचुनाव में कड़ी मेहनत की और मुकाबले को रोचक बना दिया। भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई को यहां अपने परिवार के परम्परागत विरोधी वोट के अलावा सत्ता से नाराज लोगों के एकजुट होने का भी नुकसान उठाना पड़ रहा था। लेकिन भाजपा नेताओं की मेहनत और कर्मठ कार्यकर्ताओं की फौज ने ना केवल इस नुकसान की भरपाई की बल्कि सदा के एक नया वोटबैंक भी तैयार करने का काम किया।

आदमपुर विधानसभा पिछले काफी समय से विकास कार्यों में पिछड़ हुआ है। यहां सड़क, सीवरेज, साफ पेयजल और स्कूलों में शिक्षकों की कमी मुख्य समस्या है। लोगों ने भाजपा को इसलिए भी खुलकर स्पोर्ट किया कि उनका मानना है कि अगले 2 सालों में यहां पर इन समस्याओं से छुटकारा मिल जायेगा। इसके अलावा आदमपुर की चौधर गए हुए 26 साल हो गए। इन 26 सालों में करीब—करीब सभी सरकारी परियोजनाएं जर्जर हो चुकी है। ऐसे में कुलदीप बिश्नोई द्वारा भाजपा को ज्वाइन करते ही यहां के निवासियों में नया जोश आ गया। लोगों ने खुलकर कुलदीप बिश्नोई के फैंसले का स्वागत किया और पूरे चुनाव में तन—मन और धन से सहायता की। मतदान के दिन लोगों में काफी अर्से बाद जोश देखने को मिला।

जाट वोट के एकजुट होने से कांग्रेस को हुआ नुकसान
आदमपुर हलके में जाट वोटरों को कांग्रेस ने अपने पक्ष में एकजुट कर लिया। इसके चलते अधिकतर गांवों में गैरजाट वोटों ने कांग्रेस से दूरी बना ली। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। इसके अलावा 2009 की तरह ही कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश जेपी की हार की नींव सदलपुर और आदमपुर शहर के मतदाताओं ने रखी। काफी मेहनत के बाद भी चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा इन दोनों क्षेत्रों को चौधरी भजनलाल से अलग नहीं कर पाएं। इसके चलते पहले राउंड से ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा कांग्रेस के पास आदमपुर में संगठन न होना भी हार का बड़ा कारण रहा है। सदलपुर में कांग्रेस से चुनाव लड़ने के इच्छुक तो 2 बड़े नाम इस चुनाव में सामने आएं लेकिन इसी गांव के कई बूथों में एजेंट तक ना होना साफ करता है कि चुनावी समय में कांग्रेस ने आदमपुर हलके में विपक्ष के नेताओं को तो अपने साथ मिला लिया लेकिन उनके कार्यकर्ताओं को साथ नहीं ला पाई। वहीं भाजपा को जेजेपी के पदाधिकारियों का तो साथ मिला लेकिन उनके कार्यकर्ताओं ने पूरी तरह दूरी बना ली और उन्होंने जमकर कांग्रेस का साथ दिया।

इनेलो और आप के चुनाव नहीं उठ पाने से भाजपा को नुकसान
इस उपचुनाव में इनेलो और आम आदमी पार्टी से काफी उम्मीदे थी। चुनाव से 15 दिन पहले तक कयास लगाए जा रहे थे कि आम आदमी पार्टी आदमपुर उपचुनाव में 20 हजार तक वोट ले सकती है। लेकिन टिकट घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी का चुनाव लगातार गिरता गया। 20 हजार के रथ से फिसलती हुई आम आदमी पार्टी महज 3420 वोट ही ले पाई। इसी प्रकार शुरुआती दौर में इनेलो के 12 हजार वोट लेने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन बाद में उनका चुनाव ठीक ढंग से उठ ही नहीं पाया। पगड़ी तक जनता के आगे रख देने के बावजूद इनेलो 5248 ही वोट ले पाई। इससे पहले भाजपा मान रही थी कि कुलदीप बिश्नोई विरोध के वोटों का धुव्रीकरण कांग्रेस, इनेलो और आप में हो जाने से उसे यहां से एक बड़ी जीत मिल जायेगी। लेकिन कुलदीप बिश्नोई विरोधी वोट एकमंच पर आ गए और कांग्रेस को वोट किए। इसके चलते कांग्रेस 51752 वोट ले गई।

चुनाव न लड़ने पर भी जेजेपी को नुकसान
आदमपुर उपचुनाव में भाजपा का साथ दे रही जेजेपी को यहां काफी नुकसान उठाना पड़ा है। दरअसल, जेजेपी में अधिकतर वे वोटर थे जो लम्बे समय से चौधरी देवीलाल परिवार से जुड़े रहे हैं। चौधरी देवीलाल से जुड़े होने के कारण उनकी आस्था सदा से चौधरी भजनलाल के विरोध में रही थी। ऐसे में जेजेपी द्वारा भाजपा का साथ देने पर पीढ़ी—दर—पीढ़ी चौधरी देवीलाल परिवार का साथ दे रहे कार्यकर्ता सीधे चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ चले गए। हुड्डा ने इन कार्यकर्ताओं को पूरा मान—सम्मान दिया। ऐसे में ये कार्यकर्ता अब सदा के लिए हुड्डामयी हो चुके हैं। इससे ना केवल जेजेपी को बड़ा नुकसान हुआ है बल्कि उनका पूरा कैडर समाप्ति की तरफ आ गया है।

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