चण्डीगढ़,
हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने हरियाणा विधान सभा में आज अपने अभिभाषण में कहा कि सरकार राज्य के लोगों को सस्ती, सुलभ, न्यायसंगत और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य संस्थानों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री का किया आभार प्रकट
राज्यपाल ने हाल ही में केन्द्रीय बजट में हरियाणा में रेवाड़ी जिले के मनेठी गांव में एम्स खोलने की घोषणा किए जाने के लिए केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने हाल ही में झज्जर जिले के बाढ़सा में राष्ट्रीय केंसर संस्थान, फरीदाबाद में ईएसआई अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन करने के लिए, करनाल के कुटैल में ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय’ तथा पंचकूला में राष्ट्रीय आयुर्वेंदा संस्थान की स्थापना के लिए आधारशिला रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया।
‘आयुष्मान भारत’ योजना में 357 अस्पतालों को किया सूचीबद्ध
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार गरीब से गरीब व्यक्ति को पोषाहार और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है। इस संकल्प की पूर्ति के लिए महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत’ योजना, जिसके तहत गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का चिकित्सा लाभ उपलब्ध करवाया जाता है, को लागू करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है। इस योजना के तहत अब तक पांच लाख से अधिक नागरिकों को पंजीकृत किया गया है और 357 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है। अब तक लगभग सात करोड़ रुपये की राशि के क्लेम का भुगतान किया जा चुका है।
असाध्य रोगों के उपचार में नंबर वन
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसके तहत 32 स्वास्थ्य सुविधाओं को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित किया गया है। हरियाणा देश का पहला राज्य है, जिसके जिला कुरुक्षेत्र के कृष्णानगर गामड़ी के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित किया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि जिला नागरिक अस्पताल, रोहतक ने राष्ट्रीय प्रमाणन में अधिकतम 96 प्रतिशत अंक प्राप्त करने का गौरव हासिल किया है और काजीरंगा (असम) में आयोजित 12वें राष्ट्रीय गुणवत्ता सम्मेलन में सम्मानित किया गया। कायाकल्प कार्यक्रम का विस्तार प्रदेश के 332 स्वास्थ्य संस्थानों तक किया गया है, जिसके तहत 21 पीएचसी ने प्रथम रैंक हासिल किया है। उन्होंने कहा कि असाध्य रोगों के उपचार के लिए भी विशेष बल दिया जा रहा है। इसके फलस्वरूप राज्य ने कैंसर, मधुमेह, हृदय रोगों और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण करने के राष्ट्रीय कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए देश में पहला स्थान हासिल किया है।
बच्चों की मृत्यु दर घटाई
श्री आर्य ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हरियाणा द्वारा बनाई गई और क्रियान्वित की गई उच्च जोखिम गर्भावस्था प्रबंधन नीति की भारत सरकार द्वारा सराहना की गई है। नीति आयोग द्वारा आयोजित भारत के 115 पिछड़े जिलों के सम्मेलन में हरियाणा की इस नीति को प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ पद्धति के रूप में चुना गया। इसके साथ ही, हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने 100 प्रतिशत नाम आधारित उच्च जोखिम वाले गर्भवती मामलों की पहचान करने के लिए ‘हाई रिस्क प्रेग्नेंसी पोर्टल’ नाम के एक अभिनव वेब एप्लिकेशन को तैयार और क्रियान्वित किया है। राज्य में मातृ स्वास्थ्य संकेतकों में काफी सुधार हुआ है। मई 2018 में जारी नवीनतम मातृ मृत्यु अनुपात बुलेटिन के अनुसार, हरियाणा में मातृ मृत्यु अनुपात 26 अंकों की उल्लेखनीय गिरावट से 101 हो गया है (नमूना पंजीकरण प्रणाली -2014-16)। उन्होंने कहा कि एसआरएस-2017 के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा ने 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को प्रति हजार जीवित जन्मों पर 43 से 37 तक किया है, जो कि 6 अंकों की गिरावट है। हरियाणा में शिशु मृत्यु दर भी प्रति हजार जीवित जन्मों पर 36 से 33 हो गई है। यह कमी 3 अंकों की है, जबकि प्रति हजार जीवित जन्मों पर राष्ट्रीय मृत्यु दर 24 से घटकर 22 हुई है।
निमोनिया वैक्सीन को लेकर यूनिसेफ से समझौता
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अक्तूबर, 2017 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य समीक्षा-सह-कार्यशाला के दौरान सांझा किए गए तथ्य पत्र के अनुसार एसएनसीयू देखभाल के गुणवत्ता संकेतक (एसक्यूसीआई) देशभर में सर्वश्रेष्ठï रहने के लिए हरियाणा को सम्मानित किया गया है। हरियाणा देश का पहला राज्य है, जिसने स्वयं के संसाधनों से 2 नवंबर, 2018 को निमोनिया की वैक्सीन शुरू की है, जिसके लिए पिछले वर्ष यूनिसेफ के साथ 84 करोड़ रुपये की निमोनिया की वैक्सीन की खरीद के लिए एक समझौता किया गया।
परम्परागत चिकित्सा पद्धति को किया मजबूत
उन्होंने कहा कि परम्परागत चिकित्सा पद्धति के मौजूदा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार ने देवरखाना (झज्जर) में 83 कनाल भूमि क्षेत्र पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ योग एंड नेचुरोपैथी एजुकेशन एंड रिसर्च की स्थापना करने का मुद्दा भारत सरकार के साथ उठाया है। इसी तरह से पंचकूला में एक राष्ट्रीय स्तर का आयुर्वेदिक उपचार, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान खोला जा रहा है। इस संस्थान में 250 बिस्तर होंगे और 500 से अधिक विद्यार्थियों के लिए अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, पीएचडी डिग्री प्रदान करने की सुविधा होगी।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, जिला फरीदाबाद के गांव खेड़ी गुजरान में 120 बिस्तरों का यूनानी चिकित्सा का राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान स्थापित करने का एक प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। इसीप्रकार, जिला हिसार के मय्यड़ में 50 बिस्तरों का राजकीय समेकित आयुष अस्पताल स्थापित किया जा रहा है, जिसके लिए 15 एकड़ भूमि आयुष विभाग को दे दी गई है। सरकार ने बहादुरगढ़ और बावल में 100 बिस्तरों वाले ईएसआई अस्पताल खोलने के लिए स्वीकृति प्रदान की है, जिसके लिए ईएसआईसी, नई दिल्ली से अनुमोदन मिल गया है।