हिसार,
जींद में दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के तहत 120 दलितों द्वारा बौद्ध धर्म अपनाए जाने के बाद जहां सरकार के हाथ पैर फूले हुए हैं, वहीं पर अत्याचारों से पीड़ित दलित भी इस मामले में इकट्ठा होते नजर आ रहे हैं।
जींद में 120 दलितों के दिल्ली जाकर बौद्ध धर्म अपनाने के बाद ही हिसार के गांव भाटला के दलितों ने भी गत सप्ताह हिसार में सरकार व पुलिस की दलित विरोधी नीति से तंग आकर बौद्ध धर्म अपनाने की धमकी दी थी। इसके बाद सरकार व पुलिस महकमे में हलचल मच गई थी। इसी कड़ी में शुक्रवार को भी गांव सिसाय के एक दलित परिवार ने भी भाटला के दलितों के बौद्ध धर्म अपनाने की बात का समर्थन करते हुए खुद भी बौद्ध धर्म अपनाने की बात कही है।
सिसाय गांव के पीड़ित दलित परिवार के सदस्य रामकुमार का पिछले साल जुलाई की 12 तारीख को गांव के दबंगों ने कत्ल कर दिया था। इसके बाद पीड़ित परिवार के ऊपर पुलिस व दबंगों ने बेहद दबाव बनाया। समझौता ना करने की सूरत में पीड़ित परिवार का सामाजिक बहिष्कार तक कर दिया था। इस बारे में भी ैच् हांसी को शिकायत दी गई थी लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की।
बाद में मृतक रामकुमार के भाई धूप सिंह पर पुलिस ने दबंगों के दबाव में कई झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए। गांव में धूप सिंह के साथ बुरी तरह मारपीट की गई तथा जान से मारने की धमकियां दी गई परंतु मृतक के भाई धूप सिंह की शिकायत पर पुलिस ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। इससे आजिज आकर धूप सिंह ने गांव छोड़कर जींद रहना शुरू कर दिया
है।
इसके साथ ही उपरोक्त कत्ल के केस के शिकायतकर्ता बलवान सिंह ने भी मजबूरी व जान के खतरे के चलते गांव सिसाय को छोड़ दिया तथा हांसी में एक कॉलोनी में अपना मकान बनाकर रह रहे हैं। पीडि़त धूप सिंह व बलवान सिंह ने एक संयुक्त बयान में कहा कि दबंगों द्वारा उनके भाई के कत्ल के बाद उन पर जबरदस्त दबाव बनाया गया। धमकियां दी गई व लालच दिया गया। धूप सिंह ने बताया कि जीन्द स्थित उनके घर पर भी फायरिंग की गई तथा समझौता करने केलिए दहशत पैदा की गई लेकिन उन्होंने समझौता करने की वजह गांव छोड़ना ज्यादा बेहतर समझा।
उन्होंने कहा अपने मृतक भाई को न्याय दिला कर ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार व पुलिस में दलितों के प्रति कोई संवेदना नहीं है वह केवल दबंगों के प्रति वफादारी का ही काम करते हैं तथा दबंगों के साथ मिलकर दलितों पर ही समझौते के लिए दवाब बनाने का काम करते हैं । उन्हें हरियाणा पुलिस हरियाणा सरकार से न्याय की कतई उम्मीद नहीं है।
उन्होंने कहा कि भाटला में दलितों के साथ जो अत्याचार हो रहा है तथा उनका सामाजिक बहिष्कार किया गया है वह उसका कड़ा विरोध करते हैं। भाटला के दलितों ने जो निर्णय लिया है कि वह सरकार व पुलिस की दमनकारी नीतियों से तंग आकर बौद्ध धर्म अपनाएंगे वे उसका समर्थन करते हैं तथा उन्होंने कहा कि वह भी आने वाले समय में भाटला के दलितों के साथ बौद्ध धर्म अपनाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि उस हिंदू धर्म में रहने का कोई औचित्य नहीं है जहां पर दलित सम्मान की जिंदगी ना जी सकता हो।