नई दिल्ली,
मोदी सरकार नौकरशाही में ऐतिहासिक बदलाव करने जा रही है, जिसमें पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के टैलेंट को भी महत्व दिया जाएगा, लेकिन इस कवायद की राजनीतिक गलियारे में विपक्ष की ओर से जमकर आलोचना की जा रही है तो वहीं अपनी ईमानदारी के लिए खासे चर्चित रहे आईएएस अशोक खेमका ने इस कदम का समर्थन किया है।
Lateral recruitments to the posts of Joint Secretary in Govt of India notified. May the best talents from outside nurture public services.
— Ashok Khemka (@AshokKhemka_IAS) June 10, 2018
मोदी सरकार ने लैटरल एंट्री के माध्यम से 10 संयुक्त सचिव (जॉइंट सेक्रेटरी) पद के लिए अधिसूचना जारी करते हुए आवेदन आमंत्रित किए हैं। सरकार के इस फैसले के बाद अब संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित होने वाली सिविल सर्विसेज परीक्षा पास किए बिना भी योग्य उम्मीदवार सरकार में वरिष्ठ अधिकारी बन सकते हैं।
पुनिया ने की आलोचना
पूर्व आईएएस और कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की और इसकी मंशा पर सवाल भी उठाया। नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को लेकर उन्होंने कहा, ‘यह गलत है। इसमें इंडियन नेशनल का जिक्र किया गया है, इंडियन सिटीजन नहीं। तो क्या बाहर रहने वालों को भी बनाएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘सरकार बीजेपी और संघ के लोगों को बैकडोर से घुसेड़ना चाहती है। सरदार पटेल ने अधिकारियों की इस श्रेणी को स्टील फ्रेम कहा था। उनका मानना था कि नेता और सरकारें आती जाती रहेंगी, लेकिन इस श्रेणी के अधिकारियों पर उसका कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए, यह उनके विजन के साथ भी खिलवाड़ है।’
आरजेडी के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि यह मनुवादी सरकार यूपीएससी को दरकिनार कर बिना परीक्षा के नीतिगत और संयुक्त सचिव के महत्वपूर्ण पदों पर मनपसंद व्यक्तियों को कैसे नियुक्त कर सकती है? यह संविधान और आरक्षण का घोर उल्लंघन है। कल को ये बिना चुनाव के प्रधानमंत्री और कैबिनेट बना लेंगे। इन्होंने संविधान का मजाक बना दिया है।