नई दिल्ली,
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि यास्मीन अली हक ने मातृ मृत्यु दर में कमी लाने में भारत की उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की है। इस हफ्ते की शुरूआत में जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बुलेटिन के मुताबिक भारत ने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में उल्लेखनीय कमी दर्ज की है। साल 2013 से इस तरह की मौतों में 22 फीसदी कमी दर्ज की गई। मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर होने वाली माताओं की मौत संख्या होती है। भारत का मातृ मृत्यु दर 1990 में 1,00,000 में से 556 था जो कि 2016 में घटकर 1,00,000 में से 130 हो गया।
यास्मीन अली ने कहा, ‘भारत ने मातृ मृत्यु दर कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। गर्भधारण संबंधी समस्याओं को लेकर अब भारत में 2013 की तुलना में करीब 1000 कम महिलाओं की मौत हो रही है।’ उन्होंने मातृ मृत्यु दर में कमी लाने वाले राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश के शीर्ष स्थान पर रहने को लेकर उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि अब यह देखना काफी सुखद है कि उत्तर प्रदेश में एमएमआर में करीब 30 फीसदी कमी आई है जबकि इस राज्य में घरों में सर्वाधिक प्रसव कराया जाता है।
यास्मीन ने कहा कि इन आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि भारत का युवा जागरुक हो रहा है और देश वाकई बदल रहा है। मौजूदा बुलेटिन के लिए सर्वेक्षण में 62,96,101 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया, जिनमें से 556 की मौत हुई थी।
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के भारत में मातृ-मृत्युदर 2014-16 के एक विशेष विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत में एमएमआर 2011-13 के 167 से कम होकर 2014-16 में 130 हो गया। इसमें तीन राज्य केरल (46), महाराष्ट्र (61) और तमिलनाडु (66) हैं। ये राज्य पहले से ही सतत विकास (एसडीजी) लक्ष्य हासिल कर चुके हैं। एमएमआर में 1990 के प्रति 100,000 जीवित प्रसव पर 556 मामले के मुकाबले 2016 में यह प्रति 100,000 जीवित प्रसव पर यह 130 मामले रहे। ऐसे में एमएमआर में 77 फीसदी की गिरावट आई।
WHO ने भारत को सराहा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि सरकार के मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्तायुक्त पहुंच में सुधार के प्रयासों व महिलाओं के बीच शिक्षा पर जोर दिया जाना भारत में मातृ मृत्यु दर घटाने के पीछे के कुछ कारणों में से हैं। भारत में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में 77 फीसदी की कमी आई है।
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेश्क पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, “भारत का मौजूदा एमएमआर सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (एमडीजी) से नीचे है। संगठन ने कहा कि देश की यह प्रगति सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) प्राप्त करने की तरफ बड़ा कदम है क्योंकि इसके तहत देश में प्रति 1,00,000 पर इसे 70 से नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है।