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Start Up की दुनिया में परचम लहरा रहे हैं ये युवा उद्यमी

नई दिल्ली,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून को देश भर के युवा नवाचारियों एवं स्टार्ट-अप उद्यमियों से बात करते हुए कहा था कि स्टार्ट-अप की सफलता के लिये पर्याप्त पूंजी, साहस और लोगों से जुड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब विविध क्षेत्रों में स्टार्ट अप उद्यमी हैं। स्टार्ट अप 28 राज्यों, 6 संघीय क्षेत्रों और 419 जिलों में दर्ज किए गए हैं। इनमें से 44 फीसदी स्टार्ट अप द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के शहरों में पंजीकृत किए गए हैं क्योंकि स्टार्ट अप इंडिया उनके क्षेत्रों में नवाचारों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान दे रहा है। इसके अलावा 45 फीसदी स्टार्ट अप महिलाओं द्वारा शुरू किए गए हैं।

युवा उद्यमियों से संवाद में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये का ‘फण्ड ऑफ फण्ड्स’ बनाया है ताकि युवा उद्यमियों को उनके स्टार्ट अप के लिए पूंजी की कमी ना पड़े और युवाओं को नवाचार के लिये सुविधा दी जा सके।

देश में आईटी इंडस्ट्री के बाद किसी उद्योग ने सभी को उत्साहित किया है तो वह है स्टार्ट अप। कुछ ही साल पहले युवाओं ने इसे मूर्त रूप देना शुरू किया और आज हजारों स्टार्ट-अप देशभर में काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि यही देश को आगे ले जाएगा। सबसे बड़ी बात है कि पढ़े-लिखे और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के माहिर युवाओं ने इसमें पहल की है। स्टार्ट-अप को कई राज्य सरकारों की मदद भी मिली है। खास बात यह है कि अब यह मुहिम महानगरों की सीमाओं से निकलकर छोटे शहरों, गांवों और पहाड़ों तक पहुंच रही है।

प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई स्टार्ट अप योजना सिक्किम के युवाओं को खूब पसंद आ रही है। हिमालयी राज्य सिक्किम में तो इसके कदम मजबूती से पड़े हैं और यहां यह फल-फूल रहा है। यहां प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधन भी बहुलता से हैं जिसका लाभ स्टार्ट-अप आरंभ करने वालों को मिल रहा है। सिक्किम को जैविक खेती के लिए जाना जाता है लेकिन इन दिनों यह राज्य स्टार्ट अप के मामले में भी बाजी मार रहा है। इस छोटे से पहाड़ी राज्य ने उद्यमियों की मदद के लिए ‘मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप योजना’ बनाई है जिसके तहत उद्यमियों को परियोजना लागत का 25 प्रतिशत दिया जाता है। यह राशि कुछ खास मामलों में बढ़ाकर 35 प्रतिशत की जा सकती है।

सिक्किम सरकार ने कोशिश की है कि युवा वर्ग परंपरागत स्टार्ट-अप से हटकर पर्यटन, फलों की बागवानी, जैविक खेती, होमस्टे जैसे नए उद्यमों की और ध्यान दें क्योंकि इनमें अभी बहुत गुंजाइश है। इस नन्हें से राज्य में इस तरह के स्टार्ट-अप की सफलताओं की बहुत सारी कहानियां हैं।

देविका गुरूंग एक ऐसी ही उद्यमी हैं जिन्होंने ‘फिजेटि फिंगर्स’ के नाम से फैब्रिक का एक काम शुरू किया है और उन्हें इस काम में कामयाबी भी मिल रही है। देविका इस समय यहां के गरीब और ग्रामीण महिलाओं को बुनाई, सिलाई-कढ़ाई और हस्तकला की मुफ्त ट्रेनिंग दे रही हैं। देविका का मानना है कि वर्तमान राज्य सरकार की नीतियों और स्कीम से उन्हें काफी मदद मिली है। उनका कहना है कि सरकार की नीतियां नए उद्यमियों को काफी मदद पहुंचा रही हैं। देविका गुरूंग स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ कैपेसिटी बिल्डिंग की प्रशंसा करती हैं जिसने राज्य के युवाओं को उन्हें उनकी क्षमता समझने और चमकाने तथा सरकारी मदद दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। देविका गुरूंग ने बताया कि पहले वह अपने राज्य में अपने काम को जमा रही हैं, उसके बाद राज्य से बाहर का रुख करेंगी।
‘नामची डिजाइनर कैंडल्स’ की प्रमोटर स्मिता राय अपने शहर ‘नामची’ को कैंडल बनाने में आगे लाना चाहती हैं। उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं कैंडल बनाने के काम में जुटें। उऩ्हें पता है कि कैंडल निर्माण में बहुत संभावनाएं हैं क्योंकि सिक्किम घूमने आने वाले सैलानी यहां से कैंडल ले जाते हैं। उनके लिए यह यादगार तोहफा है। कैंडल यानी मोमबत्ती बनाना सिक्किम की अपनी हस्तकला है।

स्मिता स्टार्ट-अप के बारे में राज्य सरकार की नीतियों से खुश हैं जिसके तहत उन्हें लोन मिला, अपने उत्पाद बेचने के लिए ट्रेड फेयर का सहारा मिला और साथ ही उन इलाकों में उन्हें बेचने की अनुमति मिली जहां बड़े पैमाने पर टूरिस्ट आते हैं। इससे उनका कारोबार बढ़ रहा है।

राज्य में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए सिक्किम सरकार ने 2007 में युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता निर्माण के कार्यक्रम बनाए जिससे उऩ्हें ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। इस कार्यक्रम को देखकर ही पड़ोसी राज्य अरुणाचल प्रदेश ने भी ऐसा ही एक कार्यक्रम शुरू किया है।

सिक्किम में स्टार्ट-अप की सफलता का एक उदाहरण रिवाज छेत्री भी हैं जिनका उद्यम ‘एनई टैक्सी’ अब काफी सफल है। उन्होंने अपने इस उद्यम की शुरूआत अपने बूते की और राज्य सरकार की स्टार्ट-अप नीति का पूरा लाभ उन्हें मिला जिससे उनका व्यवसाय फला-फूला। सरकार के प्रोत्साहन का उन्होंने पूरा लाभ उठाया और तेजी से आगे बढ़ गए हैं। इस छोटे से राज्य में सैकड़ों स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं। अभी ये छोटे स्तर पर सक्रिय हैं लेकिन आने वाले समय में ये बुलंदियों पर जा सकते हैं।

स्टार्ट-अप की बात हो रही हैं तो युगान तमांग के बिना अधूरी हैं। युगान तमांग एक शोधकर्ता, ब्लॉगर, पत्रकार और सामाजिक उद्यमी हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी तमांग को सिक्किम सरकार भी पुरस्कृत कर चुकी है। पत्रकार के रूप में तमांग ने पूर्वोत्तर की विभिन्न जनजातियों और संस्कृतियों पर तमाम शोध लिखे हैं। वर्तमान में वह डिजिटल मीडिया हाउस ‘सिक्किम क्रॉनिकल’ का संचालन कर रहे हैं। उनके इस स्टार्ट-अप को सिक्किम सरकार प्रोत्साहन दे रही है। तमांग को सिक्किम में डिजिटल मीडिया का एक रिसोर्स पर्सन भी माना जाता है। वह 1 दिसंबर, 2017 को बराक ओबामा के साथ टाउनहॉल में भाग लेने के लिए आमंत्रित किए गए भारत के युवा नेताओं में से एक थे। तमांग सिक्किम के युवा और चर्चित उद्यमी हैं।
उन्होंने मीडिया को ही एक उद्यम के रूप में चुना और इस क्षेत्र में एक मुकाम हासिल किया है। अपनी इस कामयाबी पर युगान तमांग ने बताया कि वह कभी किसी सरकारी नौकरी में जाना नहीं चाहते थे। तमांग ने बताया, ‘मैं अपनी लाइफ को स्वतंत्र रूप से जीना चाहता हूं। मैं एक ऐसी जॉब करना चाहता था जिसमें से मैं कभी रिटायर नहीं हो सकूं और केवल उद्यमिता यानी आंत्रप्रेन्योर ही वही एक रास्ता है जहां से कभी कोई रिटायर नहीं होता। मुझे घूमना-फिरना, लोगों से मिलना और उनसे सीखना तथा विचारों का आदान-प्रदान करना बहुत पसंद है। इसी विचार के साथ मैंने एक डिजिटल प्लेटफार्म ‘सिक्किम क्रॉनिकल’ शुरू किया।’

सिक्किम सरकार के सहयोग के सवाल पर तमांग बताते हैं कि किसी भी मीडिया को काम करने के लिए आजादी, शांति और सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है और सिक्किम सरकार इन तीनों विषयों पर मीडिया को बहुत सहयोग कर रही है। इसके अलावा सिक्किम सरकार उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक स्तर पर मदद कर रही है।

इस तरह ये चंद उदाहरण हैं जो बताते हैं कि महज 6.50 लाख की आबादी वाले पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में केंद्र सरकार की योजनाएं किस तरह फलीभूत हो रही हैं और वहां के नौजवान किस तरह उन योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं।

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