हिसार,
शहर के 12 क्वार्टर निवासी सुनील कुमार सरदाना से लगभग पौने तीन साल पहले हुई 27 लाख रुपये की ठगी के मामले में एक नया मोड़ आया है। इस मामले में पुलिस अधिकारी उमेद सिंह द्वारा जांच करने के बाद चैक व रसीदों पर हस्ताक्षरों के मिलान की पुष्टि के लिए (जो कि सीजेएम कोर्ट में लिए गए थे) उसे मधुबन भेजे जाने की बात कही गई थी लेकिन पौने तीन साल बीत जाने के बाद भी मधुबन की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं आने पर सुनील सरदाना ने इसकी जांच हेतु एक एप्लिकेशन माननीय उच्च न्यायालय में लगाई। हाई कोर्ट ने इस संबंध में पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा जिसके माध्यम से पता चला कि जांच अधिकारी उमेद सिंह द्वारा उक्त चैक व रसीदें हस्ताक्षर मिलान के लिए मधुबन में जमा ही नहीं करवाई गई जिस पर हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा।
सुनील सरदाना ने बताया कि इस मामले में आरोपियों ने उनसे 27 लाख रुपये धोखाधड़ी करके ऐंठे थे। यह केस लगभग तीन साल पहले दर्ज हुआ था। इस कैस में लगभग 12 लाख रुपये पक्के के थे, जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने आरोपियों को यह कहते हुए जमानत दी थी कि निचली अदालत में 12 लाख रुपये की एफडी करवाने के बाद दोषियों को जमानत मिलेगी। इसके बाद लगभग 4 लाख रुपये जो कि पंजाब नैशनल बैंक के एटीएम से ट्रांसफर किए गए थे उसका कोई सबूत आई.ओ. उमेद सिंह ने पेश नहीं किया। उसके बाद हमारे द्वारा 81 हजार रुपये का सबूत पेश करने के बाद आईओ उमेद सिंह ने दोषियों को बुलाया तथा उनसे 81 हजार रुपये मांगे तो उन्होंने पैसे देने से साफ मना कर दिया।
इस पर भी आईओ द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई लेकिन इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने दोबारा इकोनोमिकल सैल से जांच करवाई तो उसमें भी लगभग 27 लाख रुपये की धोखाधड़ी के सबूत भी मिले, जिसमें आईओ उमेद सिंह ने हमारा ग्रीन कार्ड भी जमा किया था, उसमें आईओ ने न्यायालय में ही अनेक जगह कोरे कागजों पर हस्ताक्षर लिए थे और आईओ उमदे सिंह ने यह कहा था कि यह हस्ताक्षर और ये कार्ड मधुबन में जमा करवा कर आना है जिससे दोषियों को सजा दिलाने के लिए केस में और ज्यादा मजबूत मिलेगी। सुनील सरदाना ने बताया कि आईओ उमेद सिंह ने कहा कि मधुबन से रिपोर्ट आने के बाद ही तुम्हारे जो पैसे जमा हैं तुम्हें मिल जाएंगे। उपरोक्त आईओ ने ना ही तो मधुबन में ग्रीन कार्ड जमा कराए और ना ही उन कोरे कागजों को जमा करवाया जिन पर कोर्ट में हस्ताक्षर करवाए गए थे।
सुनील ने बताया कि बताया कि लगभग पौने तीन साल से न्यायालय में उनका केस है, आईओ उमेद सिंह ने न्यायालय को भी गुमराह किया है। ना तो मधुबन से कोई रिपोर्ट आई और इस आईओ ने ना ही कोई कागजात मधुबन में जांच के लिए जमा करवाए हें। इस विषय में मैंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में एक याचिका दायर की, उसके अनुसार मधुबन में इस केस के बारे में कुछ भी जमा नहीं है। सुनील सरदाना ने हिसार की पुलिस अधीक्षक को एक शिकायती पत्र लिखकर तुरंत इस मामले की जांच करवाने व जांच अधिकारी के दोषी पाए जाने पर सख्त कानूनी कार्यवाही करने की मांग की।
ज्ञात रहे कि 12 क्वार्टर निवासी सुनील सरदाना से हिसार निवासी विवेक मक्कड़ व नीति मक्कड़ ने धोखाधड़ी से 27 लाख रुपये ऐंठ लिए थे। इस मामले में न्याय व पैसे वापिस लेने के लिए सरदाना परिवार पिछले लगभग तीन साल से कड़ा संघर्ष कर रहा है। सुनील सरदाना ने कहा कि इतना लंबा संघर्ष चलने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला है। अब उन्होंने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस मामले की जांच व कार्यवाही की मांग की है।