आदमपुर (अग्रवाल)
लहू तो लहू होता है, उसकी कोई जात नहीं होती, कोई धर्म नहीं होता। बस, एक रंग कि वह जीवन देता है। गुरुवार को यह बात उभर कर सामने आई जब शिविर में रक्तदानियों से विशेष बातचीत की गई। शिविर में 18वीं बार रक्त देने आई जवाहर नगर निवासी सुनिता वासदेव ने कहा कि आदमपुर में कैंप का जैसे ही पता लगा तो वह रक्तदान करने चली आई। हालांकि गत शनिवार को उनके जेठ अमृतलाल का देहांत बीमारी के चलते हो गया था।
एक मां की उम्र उसके बच्चे को नहीं बचा सकती लेकिन आपका दिया हुआ रक्त किसी का भी जीवन जरुर बचा सकता है। 42वीं बार रक्तदान करने आए आदमपुर निवासी पूनम चंद पूनिया ने कहा कि आपको रक्तदान के लिए एक बड़ा दिल और मुक्त मन की जरूरत है इसके लिए धन और ताकत की जरूरत नही पड़ती। पूनिया ढाणी सदलपुर के राजकीय उच्च विद्यालय में विज्ञान अध्यापक के पद पर कार्यरत है। पूनिया के अनुसार विज्ञान विषय का रिजल्ट शत-प्रतिशत है।
आदमपुर मैन बाजार निवासी डिम्पल सोनी ने शिविर में छठी बार रक्तदान किया। डिम्पल के अनुसार हर कोई डाक्टर बनकर किसी की जिदंगी नही बचा सकता, लेकिन आंखें, खून और अंग दान कर किसी मरते हुए का जीवन बचा सकता है। हम इस अनमोल जीवन की बदले में भगवान को कुछ नहीं दे सकते हैं लेकिन हम रक्तदान के माध्यम से दूसरों की मदद करके भगवान को धन्यवाद दे सकते हैं।
गांव सीसवाल निवासी जगन्नाथ ने शिविर में 31वीं बार रक्तदान किया। जगन्नाथ के अनुसार जब कभी भी आप रक्त का दान करते है तो वह रक्तदान किसी के जीवन को जीने के लिए अवसर देता है वह रक्त पाने वालों में एक दिन कोई व्यक्ति करीबी रिश्तेदार, एक मित्र, एक प्रिय या आप भी हो सकते है।
सिरसा नागरिक अस्पताल से आए फार्मासिस्ट समीर मनोचा ने 31वीं बार रक्तदान किया। उन्होंने कहा कि इंसान तरक्की के रास्ते पर बढ़ता जा रहा है, जीवन से जुड़ी हर समस्याओं को जाना और इसको दूर करने के लिए नित नए आविष्कार भी किए जा रहे है। लेकिन जीवन रूपी इस शरीर को चलाने के लिए हमें जिस रक्त की आवश्यकता पड़ती है उसे न तो इंसान बना सकता है और न ही बना पाया है लेकिन यह सच है की किसी भी इंसान के अंदर रक्त की कमी को दूसरे इंसान के रक्तसे पूरा किया जा सकता है।
लाखपुल राजकीय माध्यमिक विद्यालय में कला अध्यापक दिनेश गर्ग ने 26वीं बार रक्तदान करते हुए कहा रक्तदान से शरीर स्वस्थ रहता है। रक्त देने के लिए आपको न तो अतिरिक्त शक्ति और न ही अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता होती है और आप फिर भी किसी के जीवन को बचा सकते है।
सास कमला देवी ने पुत्रवधु सुमन के साथ 11वीं बार रक्तदान किया। वहीं बहु सुमन ने 10वीं बार रक्तदान किया। सास-बहू के मुताबिक युवा और स्वस्थ व्यक्ति के लिए रक्तदान कोई नुकसान नहीं है बीमार के लिए रक्तदान जीवन की आशा है जीवन को वापस देने के लिए रक्तदान अवश्य करना चाहिए।
इनके अलावा बरवाला से महेंद्र सिंह सेतिया ने 57वीं बार, सुशील बिश्नोई ने 17वीं, अजय मित्तल ने 13वीं, सुरजीत ज्याणी ने 11वीं, नरषोत्तम मेजर ने 10वीं बार रक्तदान किया।
शिविर के संयोजक प्राध्यापक राकेश शर्मा के अनुसार शत-प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान के लक्ष्य को पाने की युवाओं की भागीदारी अहम है। शर्मा के मुताबिक माताएं आज रक्त की कमी से जूझ रही है। कमी को दूर करने व इसकी महत्ता को बताने के लिए महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रक्तदान शिविरों में आने के लिए प्रेरित करते है और वहां उनका रक्त जांचा जाता है। यदि उनमें रक्त की कमी है तो उन्हें बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाता है कि वो अपना खानपान सही करके, अपनी जीवन शैली में बदलाव लाकर इस सेवा में अपना योगदान भी दे सकें। जिनकी रक्त की मात्रा ठीक होती है उन्हें रक्तदान करने लिए प्रेरित किया जाता है।