बूंद बूंद पानी को तरसे कुलाना वासी
हिसार,
दो दशक पहले तक आसपास के 9 गांवों की प्यास बुझाने वाला हांसी उपमंडल का गांव कुलाना आज खुद प्यासा है। इस गांव की पानी के अभाव में ऐसी स्थिति है ना तो यहां पेयजल है और ना ही फसलों के सिंचाई का पानी है। इतना ही नहीं यदि यह कहा जाए पेयजल के अभाव में पशु-परिंदे व इंसान सब प्यासे हैं तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वर्तमान में भीषण गर्मी के कारण हिसार का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। ऐसी स्थिति में भी गांव के जलघर के टैंक व पशुओं के पीने के लिए गांव के दोनों तालाब खाली है। गांव में इस वक्त पीने व नहाने के लिए पानी उपलब्ध नहीं है। गांव के पूर्व ब्लाक समिति मेंबर डॉ संदीप सिंहमार ने बताया कि गांव के जलघर में तीन हैंड पंप लगे हुए हैं। इनसे ही फिलहाल पूरा गांव पानी पीने की कोशिश कर रहा है। लेकिन पानी की कमी ये तीन हैंडपंप पूरी नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि इस पेयजल संकट को ग्रामीण खुद धनराशि खर्च कर दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। मजबूरी के कारण साथ लगते गांव खरड़ अलीपुर में स्थित एक आरओ प्लांट से गांव में पानी की सप्लाई हो रही है। लेकिन सभी व्यक्ति खरीद कर पानी पी भी नहीं सकते। डॉ. संदीप सिंहमार ने बताया कि पानी की समस्या के कारण विशेषकर ग्रामीण महिलाएं इतनी परेशान हैं कि तपती दोपहरी में भी पेयजल के लिए सिर पर टोकनी/मटके रखकर दो किलोमीटर दूर तक पानी लेने के लिए जाती हैं। लेकिन फिर भी उन्हें कई बार खाली हाथ ही लौटना पड़ता है।
ग्रामीण होने की सज़ा मिल रही हमें : डॉ. संदीप सिंहमार
डॉ. संदीप सिंहमार ने बताया कि गांव कुलाना में 80 के दशक से ही बड़ा जलघर बना हुआ है। बीड़ माईनर रजबाहे से पानी जलघर तक आता है। इस रजबाहे (माईनर) में 42 दिनों में 7 दिन पानी आता है। इस दौरान भी पिछले गांवों में पानी चोरी होने के कारण जलघर तक पूरा पानी नहीं आ पाता। पानी चोरी के मामलों व लेवलिंग न होने से टेल तक पूरा पानी ना आने के कारण गांव के जलघर के टैंक सूखे रह जाते हैं। यह पूरा मामला उपमंडल व जिला स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सरकार के संज्ञान में होने के बावजूद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं,क्योंकि हम गांव के रहने वाले है। यदि यही समस्या किसी भी छोटे या बड़े शहर में होती तो अब तक समस्या का समाधान हो गया होता। गांव की समस्याओं की तरफ अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं जाता। अधिकारियों को समझना चाहिए कि गांव में भी इंसान बसते हैं। ग्रामीण होने की ऐसी सज़ा नहीं देनी चाहिए कि लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए भी कड़ी मशक्कत के सामना करना पड़े।
4 दिन में 10 मिनट के लिए आती है सप्लाई
गांव के बड़े जलघर में दो बड़े पानी के टैंक बने हुए हैं। जब कभी इनमें पानी होता भी है तो चार दिन में एक बार 10 मिनट के लिए ही वाटर सप्लाई दी जाती है। डॉ.संदीप सिंहमार ने कहा कि जलघर में सभी प्रकार के फिल्टर व केमिकल उपलब्ध होने के बावजूद भी पानी की सप्लाई सीधी दी जा रही है। यह पानी भी फिल्टर होने के कारण पीने लायक नहीं होता। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग का कोई भी अधिकारी, जिला लेवल का कोई उच्च अधिकारी या सरकार का कोई भी नुमाइंदा गांव के जलघर में आकर स्थिति का जायजा ले सकता है।