हिसार,
क्रांतिमान पार्क में सैंकड़ों की संख्या में मुस्लिम ईद—उल—फितर के मौके पर नमाज अता करने के लिए जुटे। इस दौरान एक गाय भी उनके बीच में आ गई। चौकान्ने वाली बात तो यह रही कि नमाज अता होने तक वह लोगों के बीच खड़ी रही और नमाज अता होने के बाद वहां से चली गई। गाय की यह हरकत चर्चा का विषय बन गई।
मुस्लिम कल्याण कमेटी के तत्वाधान में मुस्लिम समाज के लोगों ने क्रांतिमान पार्क में ईद-उल-फितर की नमाज अता की। इस मौके पर जामा मस्जिद के इमाम मौलाना जमदेश अली ने तकरीर की और नमाज अता करवाई।
इमाम साहब ने बताया कि इस्लाम में ईद-उल-फितर का बड़ा महत्व है। यह त्यौहार पाक रमजान महीने के बाद आता है। रमजान के पूरे महीने लोग रोजा रखते हैं और मस्जिदों में तराबीह पढ़ते हैं और सारा दिन अल्लाह पाक की तिलावत करते हैं। रमजान का महीना नेकीयों व बड़ा बरकत का महीना है। यह महीना बड़े तकबे व परेहजगारी का होता है। लोग दिन में रोजा रखते हैं और रात को कुरान पाक की तिलावत करते हैं व अल्लाह से दुआ करते हैं। इस महीने में एक नेकी के बदले 70 नेकियों का शबाब मिलता है। माह रमजान इस्लाम में बड़ा पवित्र महीना माना जाता है। इस एक महीने के रोजे के बाद ही अल्लाह पाक ये खुशी ईद-उल-फितर के रूप में देता है। इसे मि_ी ईद भी कहते हैं। यह त्यौहार इस्लाम का सबसे बड़ा त्यौहार है। ईद-उल-फितर की नामज से पहले लोग फितरा व जकात देते हैं, जो प्रत्येक मुस्लिम के लिए जरूरी है।
इस मौके पर मुस्लिम कल्याण कमेटी के प्रधान होशियार खान ने बताया कि ईद का त्यौहार प्रेम प्यार, आपसी भाईचारा व टूटे रिश्तों को जोडऩे और मानवता का पालन के साथ-साथ अल्लाह के साथ भी बंदो के रिश्तों को मजबूत बनाता है तथा एकता के साथ रहने का संदेश देता है। नमाज के बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने देश व प्रदेश के लिए अमन-चैन, आपसी भाईचारे तथा सुख व समृद्धि की दुआ मांगी।
नमाज के मौके पर हाजी अफजल, सोहल अख्तर, बरकत अली, मुन्ना अली, नूर मोहमद, दीवान अली आलम, डा. असलम, कै. रफीक, गुलाम नबी, मोहमद अली, गुलफाम, सिकंदर, जोगीखान, हाजी हसीना, हरफुल खान, डा. खबीरुदीन सहित हजारों लोगों ने नमाज अता की। इस दौरान हिंदू भाईयों ने भी क्रांतिमान पार्क में पहुंच कर अपने मुस्लिम भाइयों को ईद-उल-फितर की मुबारकबाद दी। इनेलो जिला प्रधान राजेंद्र लितानी ने भी पार्टी की ओर से मुबारकबाद दी।