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मॉनसून की स्थिति हुई कमजोर, करना होगा बारिश का इंतजार

नई दिल्ली,
मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मॉनसून की हवाओं में 12 जून से ठहराव आ गया है। मॉनसून की ताकत कमजोर पड़ने की वजह से मॉनसून की बारिश इस समय सिर्फ और सिर्फ पूर्वोत्तर भारत और वेस्टर्न घाट तक ही सीमित रह गई है।

सुपर कंप्यूटर के माध्यम से की गई गणनाओं के लिहाज से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 23 जून के बाद मॉनसून की हवाओं में सुगबुगाहट बढ़ेगी, लेकिन जिस तरह की मौसमी स्थितियां बन रही है वह निश्चित तौर पर देश के लिए चिंताजनक है।

मॉनसून की बारिश सामान्य

ताजा आंकड़ों के मुताबिक मॉनसून की उत्तरी सीमा इस समय थाणे, अहमदनगर, बुलढाणा, अमरावती, गोंदिया, टिटलागढ़, कटक, मिदनापुर से होते हुए ग्वालपाड़ा और बागडोगरा से होकर गुजर रही है। 12 जून से यह रेखा यहीं पर ठहरी हुई है और मौसम के जानकारों का कहना है कि अगले 5 से 6 दिनों तक मॉनसून की हवाएं इससे आगे बढ़ने की संभावना ना के बराबर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मॉनसून काफी कमजोर पड़ चुका है।

मौसम विभाग के डायरेक्टर चरण सिंह के मुताबिक अब तक हुई बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो मॉनसून की बारिश सामान्य है, लेकिन जब आंकड़ों की गहराई में जाएं तो यह खुशफहमी गलत साबित होती है। वजह यह है कि इस समय जो बारिश हो रही है वह वेस्टर्न घाट और पूर्वोत्तर भारत में हो रही है।

वेस्टर्न घाट पर होने वाली बारिश मात्रा में ज्यादा होती है, लेकिन यह बारिश बहुत कम समय में अरब सागर में वापस चली जाती हैं। वहीं पूर्वोत्तर भारत की बात करें तो यहां पर भी कम समय में हुई ज्यादा बारिश के चलते बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है अगर भारत की मुख्य भूमि की बात करें तो यहां पर अभी भी मॉनसून की बारिश वैसे नहीं हुई है जैसी होनी चाहिए।

मौसम विभाग के आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो 18 जून तक पूरे देश में 78.7 मिली मीटर औसत बारिश हुई है। इस समय तक औसतन 78.7 मिलीमीटर की ही बारिश होती है।

पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में हुई बारिश पर नजर डालें तो यहां पर 149.00 मिली मीटर की बारिश अब तक हुई है यह तकरीबन 22 फीसदी सामान्य के मुकाबले कम है। इसी तरह उत्तर पश्चिम भारत में इस सीजन में अब तक 28.4 मिलीमीटर की सामान्य बारिश के मुकाबले 26.9 मिलीमीटर की सामान्य बारिश हुई है जो सामान्य के मुकाबले 5 फ़ीसदी कम है।

दक्षिण में हुई अच्छी बारिश

दक्षिण भारत की बात करें तो यहां पर 87.5 मिलीमीटर की औसत बारिश के मुकाबले 122.8 मिलीमीटर की औसत बारिश रिकॉर्ड की गई है जो सामान्य के मुकाबले 40 से ज्यादा है। दक्षिण भारत में ज्यादा बारिश होने की वजह यहां पर वेस्टर्न घाट पर हो रही झमाझम बारिश को बताया जा रहा है, जबकि अंदरूनी हिस्सों में बारिश की मात्रा काफी कम है।

मौसम विभाग के मुताबिक 18 जून तक मॉनसून अमूमन बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, गुजरात के साथ-साथ पूरी उत्तर प्रदेश तक पहुंच जाता है और इसी के साथ उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के तमाम इलाकों में भी मॉनसूनकी बारिश होने लगती है लेकिन इस बार मॉनसून की स्थिति कमजोर होने की वजह से मानसूनी हवाएं पश्चिम बंगाल को भी पूरी तरीके से अपने आगोश में नहीं ले पाई हैं।

ओडिशा का एक बड़ा हिस्सा मॉनसून की बारिश से अछूता है, जबकि छत्तीसगढ़ की बात करें तो मॉनसून की बारिश एक बड़े हिस्से में अभी तक नहीं हुई है। मध्य प्रदेश में तो मॉनसून की हवाएं अभी तक पहुंची ही नहीं है। गुजरात में वैसे तो 15 जून तक मॉनसून पूरे प्रदेश को अपने आगोश में ले लेता है, लेकिन इस बार यहां से भी मॉनसून नदारद है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में 15 जून के आसपास मॉनसून दस्तक दे देता है लेकिन इस बार पुरवैया की बजाए यहां पर पछुआ हवाओं ने अपना घर कर रखा है इन स्थितियों में ऐसा लगता है कि मॉनसून के लिए अभी दिल्ली दूर है।

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