नई दिल्ली,
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए विवादित शब्दों का प्रयोग किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री की तुलना धृतराष्ट्र से की है। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में पीएम मोदी को दिए भाषण पर पलटवार करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हार के डर से अपना आपा खो दिए हैं। पसीना पोंछ-पोंछकर समाज में नफरत और बंटवारे का जहर घोलते नजर आए। सच तो यह है कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी से बदले की आग में वह धृतराष्ट्र की तरह अंधे हो चुके हैं।
हार के डर से अपना आपा खोए मोदीजी आज पसीना पौंछ-पौंछ कर समाज में नफ़रत व बँटवारे का ज़हर घोलते नज़र आए।
सच तो यह है की कांग्रेस व राहुल जी से बदले की आग में वो धृतराष्ट्र की तरह अंधे हो चुके हैं
जुमलों की किशती में सवार झूठों के सरदार PM पद की मर्यादा त्याग बरगलाने पर उतर आए हैं pic.twitter.com/w2ehPtWJyt
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 14, 2018
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘हार के डर से अपना आपा खोए मोदीजी आज पसीना पोंछ-पोंछ कर समाज में नफ़रत व बँटवारे का ज़हर घोलते नज़र आए। सच तो यह है की कांग्रेस व राहुल जी से बदले की आग में वो धृतराष्ट्र की तरह अंधे हो चुके हैं। जुमलों की किशती में सवार झूठों के सरदार PM पद की मर्यादा त्याग बरगलाने पर उतर आए हैं।’
मालूम हो कि आजमगढ़ की जनसभा में पीएम मोदी ने राहुल गांधी के मुस्लिम समुदाय के साथ बैठक को लेकर भी तंज कसा है। राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नामदार कह रहे हैं कि उनकी पार्टी मुसलमानों की है। इससे पहले मनमोहन सिंह कह चुके थे कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है, लेकिन कांग्रेस ये बताए कि उनकी पार्टी मुस्लिम पुरुषों की है या मुस्लिम महिलाओं की भी है?
संसद का मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘तीन तलाक’ से संबंधित विधेयक के लंबित होने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या यह पार्टी सिर्फ मुस्लिम पुरुषों की पार्टी है, महिलाओं की नहीं।
मोदी ने यहां पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना का शिलान्यास करने के बाद एक जनसभा में कहा, ‘मैंने अखबार में पढ़ा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है। पिछले दो दिन से चर्चा चल रही है। मुझे आश्चर्य नहीं हो रहा है क्योंकि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो स्वयं उन्होंने कह दिया था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार मुसलमानों का हैं।’