हरियाणा हिसार

तकनीक : रेत से बन रही है खल

हिसार,
आज तक आपने सरसों,सूरजमूखी या अन्य तेलियां फसल से खल बनती देखी होगी, लेकिन हिसार में कचरे और रेत से खल बनाई जाती है। ये खल पशुओं को खिलाई जाती है और पशु इसे खाते भी चाव से है।


https://youtu.be/vaoKNN8hUrY

बिना तेल निकले बन जाती है खल
खल बनाने के लिए तेलिया फसल को स्पेलर में ड़ाला जाता है और स्पेलर से तेल निकल कर अलग हो जाता है और खल बनकर अलग हो जाती है। लेकिन हिसार में बिना स्पेलर, बिना तेलिया फसल और बिना तेल निकाले ही खल तैयार हो रही है। दरअसल, सीएम फ्लाइंग स्क्वॉयड ने गुरुवार को चंदन नगर में एक खल फैक्टरी में छापा मारा। फैक्टरी में प्रवेश करते ही टीम दंग रह गई। फैक्टरी में लकड़ी का बुरादा, चावल का भूसा, रेत, मूंगफली के छिलकों का ढ़ेर लगा था। कहने को तो फैक्टरी में सरसों की खल बनाई जाती थी, लेकिन यहां से सरसों गायब थी। ये लोग रंग, कैमिकल, लकड़ी का बुरादा, चावल का भूसा, रेत, मूंगफली के छिलकों को मिक्सर मशीनों में ड़ाल कर बारिक किया जाता और फिर पानी और सरसों के तेल का घोल मिलाकर खल को तैयार देते। खल बनाते समय इसमें नमक ड़ाला जाता है, ताकि पशु इसे असानी से खा ले। बताया जा रहा है कि इस खल को 4—5 दिन लगातार खिलाने के बाद पशु दूसरी खल नहीं खाता।

400 कट्टे खल मिली
चंदन नगर स्थित फैक्टरी में करीब 400 कट्टे नकली खल मिली। फैक्टरी का मालिक सीएम फ्लाइंग स्क्वॉयड को बरगाने की पूरी कोशिश करता रहा। उसका कहना था कि खल में सभी अवयव प्राकृतिक है।
क्या है नुकसान

केंद्रिय भैंस अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डा. अशोक बल्हारा ने बताया कि नकली खल खाने से पशु धीरे—धीरे बीमार होने लगता है। और उसके दूध देने की क्षमता घट जाती है। कैमिकल युक्त रंग मिलाने के कारण इसका असर दूध की गुणवता पर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि असल में, पशु को खल प्रोटिन की कमी को पूरा करने के लिए दिया जाता है। लकड़ी का बुरादा, चावल का भूसा, रेत, मूंगफली के छिलकों में प्रोटिन बिल्कुल नहीं होता। ये पशु की आंतों को प्रभावित करते है और पाचन क्रिया पर गहरा असर ड़ालते हैं। रेत के कारण पशु का गोबर पतला हो जायेगा। जोकि उसके बीमार होने की प्रथम निशानी है। अधिक रेत मिली होगी तो पशु को दस्त दस्त भी लग सकते है।
क्या कहते है डाक्टर

होली अस्पताल के डाक्टर जयंत प्रकाश का कहना है कि पिछले कुछ सालों से देखने को मिला है, मनुष्य में अधिकतर बिमारियां पशुओं से आ रही है। पशु यदि कैमिकल युक्त खल या फीड खायेगा तो उसका असर सीधे तौर पर दूध में आयेगा। ऐसा दूध जब इंसान पीयेगा तो उसे लीवर, पेट और आंत की समस्या अवश्य होगी।
पशुपालन विभाग ने करवाया इंतजार
सीएम फ्लाइंग स्क्वॉयड चंदन नगर की नकली खल फैक्टरी में अपनी कार्रवाई कर रही थी, लेकिन पशुपालन विभाग को इससे कोई मतलब ही नहीं था। चौकान्ने वाली बात तो यह है कि सीएम फ्लाइंग स्क्वॉयड बार—बार पशुपालन विभाग की टीम को मौके पर बुला रही थी, लेकिन पशुपालन विभाग की टीम आने में आनाकानी कर रही थी। लंबा इंतजार करवाने के बाद पशुपालन विभाग की टीम फैक्टरी में पहुंची। इसके बाद वहां सेंपल लेने की कार्रवाई शुरु हो सकी।
हिसार क्षेत्र में है ऐसी कई फैक्टरियां
चंदन नगर स्थित नकली खल की फैक्टरी को सीएम फ्लाइंग स्क्वॉयड ने छापा मार कर पकड़ लिया। लेकिन हिसार जिले में ऐसी कई फैक्टरियां वर्षों से चल रही है। अग्रोहा—आदमपुर रोड और आदमपुर शहर में स्थापित कई फैक्टरियां नकली खल बनाने के लिए बदनाम है।

Related posts

आदमपुर में शराब तस्करों व अवैध खुर्दे की लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल—मचा हड़कंप, पुलिस को नहीं जानकारी

आदमपुर की अनाज मंडी में महिला मिली कोरोना पॉजिटिव, कुल संख्या पहुंची 19 पर

दीपेंद्र हुड्डा का दावा—कांग्रेस की सरकार बनने पर बुजुर्गो को मिलेगी 3 हजार रूपए पेंशन