धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—42

एक बार एक किसान शेर,बकरी और एक घास की गट्ठरी लेकर जंगल से गुजर रहा था। रास्ते में उसे नदी को पार करना था । नदी पार करने के लिए वह तट पर पहुंचा, तो देखा नाव काफी छोटी थी। सबको साथ लेकर वह उस नाव से नहीं जा सकता था। वह अपने साथ केवल एक चीज़ को ही लेकर जा सकता था।

अगर किसान अपने साथ शेर को लेकर जाता तो बकरी उस घास की गट्ठी को खा जाती और अगर पहले घास को नदी के पार लेकर जाता है तो शेर बकरी को खा जाता। अब वो बहुत मुश्किल में पड़ गया था उसे कुछ भी सूझ नहीं रहा था।

आखिरकार उसके मन में एक तरकीब आई। किसान सबसे पहले अपने साथ नाव में बकरी को लेकर गया और उसे नदी के पार छोड़ आया,और वापिस लौट आया। फिर उसने शेर को नाव में बैठाया और उसे भी नदी के पार ले गया और वापिस लौटते समय बकरी को अपने साथ ले आया। इसके बाद उसने घास की गट्ठी को उठाया और नदी की दूसरी तरफ शेर के पास छोड़ आया। इसके बाद वह अकेला वापिस आया और इस बार वह अपने साथ बकरी को भी ले गया। इस प्रकार किसान ने आसानी से नदी को पार कर लिया।

प्रेमी सुंदरसाथ जी, हम अपनी बुद्धि से बड़ी से बड़ी मुश्किल पर काबू पा सकते हैं। इसलिए मुश्किल की घड़ी में घबराने के स्थान पर विवेक से काम लेना चाहिए।

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