रेवाड़ी हरियाणा

रेवाड़ी रेंज में नही है एक भी महिला डीएसपी, महिला डीएसपी ना होने चलते एसपी को करनी पड़ेगी जांच

नारनौल,
बहुचर्चित टॉपर गैंगरेप मामले में जांच के लिए शुक्रवार देर शाम अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री कांत जाघव ने पुलिस अधीक्षक नाजनीन भसीन के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया है।इस टीम में कोसली के डीएसपी अनिल कुमार, महेंद्रगढ़ के डीएसपी सतेंद्र कुमार, महिला इंस्पेक्टर सरोज बाला, इंस्पेक्टर अनिल, इंस्पेक्टर सोहन लाल एवं सब इंस्पेक्टर उषा रानी को शामिल किया गया। लेकिन इस सारे प्रकरण में पुलिस विभाग की एक बड़ी कमी निकल कर सामने आई है की रेवाड़ी रेंज के चारों जिलों में किसी भी महिला डीएसपी अधिकारी का ना होना। जिसके चलते जांच का जिम्मा पुलिस अधीक्षक स्तर की महिला अधिकारी को देना पड़ा।

” यह सरकार को देखना हैं कि किस अधिकारी को कहां पर पोस्टिंग दी जाए। एसपी मैडम काबिल अधिकारी होने के साथ-साथ महिला भी हैं इसलिये उनको जांच दी गई है।” विनोद कुमार, पुलिस अधीक्षक, नारनौल।

गौरतलब है कि हरियाणा पुलिस की रेवाड़ी रेंज के तहत 4 जिले पलवल, मेवात, रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ जिले आते है। कहने को तो इन सभी जिलों में महिलाओं से संबंधित अपराधों के लिए सरकार ने महिला थाने खोले हुए है जिनमे एस एच् ओ भी महिला अधिकारी को ही बनाया गया है। लेकिन अगर कोई शिकायतकर्ता थाना अधिकारी की जांच से संतुष्ट ना हो तो फिर उसे आगामी कार्रवाई के लिए संबंधित थाने के उच्चाधिकारी से मिलना हो तो उसे बड़ी झिझक का सामना करना पड़ता है और वो अपनी बात भी सही ढंग से नही कह पाती क्योंकि सामने जो अधिकारी बैठा है वो पुरुष होता है।

पुलिस विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार रेवाड़ी रेंज में डीएसपी के डेढ़ दर्जन पद है लेकिन किसी भी पद पर महिला अधिकारी नही हैं। रेवाड़ी, मेवात और पलवल में तो महिला पुलिस इंस्पेक्टर मौजूद है लेकिन जिला महेंद्रगढ़ में एक भी महिला इंस्पेक्टर नही है। जबकि साथ लगते गुरुग्राम और फरीदाबाद में आधा-आधा दर्जन महिला पुलिस अधिकारी है, यही स्थिति पंचकूला और अंबाला में बताई जा रही है। अगर रेवाड़ी या महेंद्रगढ़ जिला में महिला डीएसपी होती तो जांच का जिम्मा उनको दिया जाता। अब एसपी नाजनीन भसीन को जांच के लिए लगभग 100 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा।

नाम ना छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बात की अधिकांश महिला पुलिस अधिकारी फील्ड की नौकरी से बचना चाहती हैं जिसके चलते वो कहीं ना कहीं से सिफारिश लगवाकर बड़े शहरों में पोस्टिंग करवाती है जहां आफिस टाइम की नौकरी हो और बच्चों की पढ़ाई की भी चिंता ना हो। ये उन्होने भी माना की आज के समय में जब महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है तो ऐसे में जिला में एक महिला डीएसपी का होना आवश्यक है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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