हिसार,
हरियाणा सरकार परिवहन विभाग का निजीकरण करके आम जनता को रोडवेज विभाग द्वारा दी जा सुविधाओं से वंचित करना चाहती है। यह बात आज हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने एक बयान जारी कर कही। उन्होंने कहा कि रोडवेज विभाग का निजीकरण करके सरकार आम जनता खास कर ग्रामीण जनता को रोडवेज की सुविधाओं से वंचित करने का षडयंत्र रच रही है।
किरमारा ने बताया कि 1977 से पहले केवल शहर के बच्चों को शहर में पढऩे का मौका मिलता था, क्योंकि उस समय ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर लोग आर्थिक तंगी के चलते अपने बच्चों को शहरों में पढ़ाने में असमर्थ थे। इसके चलते वो उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते थे। तत्कालीन चौधरी देवीलाल की सरकार ने 1977 में एक सकारात्मक सोच के साथ जिन गांवों में 5 वीं, 8 वीं व 10 वीं तक के ही स्कूल होते थे, जिनमें बेटियों को पढऩे के लिए भी कम भेजा जाता था। तत्कालीन सरकार ने रोडवेज में नाममात्र शुल्क पर बस पास सुविधा शुरू करने का निर्णय लिया, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए शहर आ सकें।
उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया है उस नारे को सही मायने में स्व. चौधरी देवीलाल ने 1977 में ही साकार कर दिखाया था। चौधरी देवीलाल सरकार की नीति के चलते ही आज ग्रामीण क्षेत्र के लड़कें व लड़कियां अब उच्च शिक्षा से वंचित नहीं हैं। तत्कालीन चौधरी देवीलाल सरकार द्वारा शुरू की गई बस पास सुविधा का लाभ उठाते हुए शहरों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं। लड़कियों को बसों में 150 किलोमीटर तक फ्री बस सुविधा दी गई है, जिससे बेटियां पढ़ी भी हैं और बेटियां रोडवेज की बसों में अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हैं। रोडवेज की बसों में बेटियों के साथ किसी प्रकार की अनहोनी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि देश में बेटियों के साथ जिन बसों में अनहोनी हुई है वो केवल प्राइवेट बसों में ही हुई हैं।
राज्य प्रधान किरमारा ने कहा कि यदि हरियाणा सरकार वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे को बुलंद करना चाहती है तो उसे रोडवेज विभाग को बचाना होगा। यदि रोडवेज विभाग नहीं बचा तो ना बेटियां बचेंगी और ना ही बेटी पढ़ेंगी। मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से बेटियों द्वारा पूरे प्रदेश के हर जिला में प्राइवेट बसों की शिकायत की जाती है, लेकिन सरकार द्वारा उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। उन्होंने कहा कि यदि रोडवेज का निजीकरण हुआ तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे के कोई मायने नहीं रह जाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 720 प्राइवेट बसें किलोमीटर स्कीम के तहत लेने का समझौता किया है, उससे 10 व 15 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से प्रतिदिन का घाटा होगा। यदि इस घाटे का आंकलन किया जाए तो इससे वर्ष में सरकार को लगभग 800 करोड़ रुपए का घाटा होगा। उन्होंने कहा कि उच्च पदों पर बैठे प्रभावशाली लोग जनता के खून पसीने की कमाई से बने रोडवेज विभाग को गर्त में पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोडवेज की सभी यूनियनें सरकार के फैसले का विरोध कर रही हैं और मांग करती हैं कि किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से इसकी जांच करवाई जाए तो देश में जो बड़े घोटाले हुए हैं यह भी वैसा ही एक घोटाला साबित होगा।
दलबीर किरमारा ने कहा कि जन सेवा के इस विभाग को बचाने के लिए रोडवेज की तालमेल कमेटी आंदोलनरत है, उसी प्रकार से प्रदेश के छात्र-छात्राएं, संगठन, जनसंगठन व आम जनता से अपील है कि रोडवेज विभाग को बचाने के लिए जो आंदोलन तालमेल कमेटी चला रही है उसको अन्यथा ना लेकर रोडवेज यूनियनों का सहयोग करें।