हिसार

मंगल कलश धारण करने से आत्मा शुद्ध एवं पवित्र होती है: आचार्य राधेश्याम

आदमपुर (अग्रवाल)
गांव सीसवाल की सेठ झमनलाल धर्मशाला में शुक्रवार से 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। कथा से पूर्व भव्य मंगल कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा गांव सीसवाल के हनुमान मंदिर से आरंभ होकर विभिन्न रास्तों से होती कथा स्थल तक पहुंची। श्रीमद्भागवत कथा के आंरभ से पूर्व वृंदावन से पधारे आचार्य पंडित राधेश्याम ने पूजा अर्चना करवाई।

श्री मद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए स्वामी आचार्य ने सर्वप्रथम मंगलाचरण का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी काम का शुभारंभ करने से पूर्व भगवान को याद किया जाता है। जिसे कहते है मंगलाचरण। कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान के नाम तो अनेक है जैसे राम, कृष्ण, हनुमान, शिव, विष्णु, अल्लाहा, वाहे गुरु आदि, परंतु इन सब सर्वशक्तिमान परब्रहम परमात्मा का नाम तो एक ही है, वो है सच्चिदानंद। उन्होंने बताया कि महिलाओं द्वारा अपने सिर पर मंगल कलश धारण करने का भी एक अहम उद्देश्य है।

कथा के श्रवण से मनुष्य के शरीर में छिपे हुए ज्ञान, वैराग्य, मुक्ति को जागृत करती है। कथा का पाठ करने और सुनने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, पापों से मुक्ति मिलती है। कथा के श्रवण से जीवन का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि मानव को यदि संत मिल जाए तो उसे संत का आदर करना चाहिए। संत का आदर करने से उसे सुखों की प्राप्ति होती है और उसके अवगुणों का नाश होता है। इस मौके पर अनिल बंसल, हरीश बंसल, महादेव, सतपाल, शंकर, पवन, अशोक बंसल, कुलवंत, शिवकुमार, नवीन, दिनेश, जयकुमार, विजय, दीपक, अशोक कथूरिया, राहुल सहित सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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