हिसार,
हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने सरकार की हठधर्मिता एवं विभाग का निजीकरण किये जाने की जिद्द पर अड़े रहने तथा आंदोलन कर रहे कर्मचारियों पर प्रताडऩा की कार्रवाही किये जाने के विरोधस्वरूप रोडवेज हड़ताल 25 अक्तूबर तक के लिए और बढ़ा दी है। साथ ही तालमेल कमेटी ने चेतावनी दी है कि जब तक सरकार विभाग के निजीकरण का फैसला वापिस नहीं ले लेती, तब तक इस हड़ताल को अनिश्चितकालीन ही समझा जाए।
एक संयुक्त बयान में तालमेल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य दलबीर किरमारा, हरिनारायण शर्मा, इन्द्र सिंह बधाना, अनूप सहरावत, जयभगवान कादियान, सरबत सिंह पूनिया, पहल सिंह तंवर, ओमप्रकाश ग्रेवाल व रमेश सैनी ने जनता को हो रही असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेवार है और यदि सरकार को जनता की परेशानियों से थोड़ी सी भी हमदर्दी है तो उसे तुरंत बातचीत करके समस्या का समाधान निकालना चाहिए। कर्मचारी नेताओं ने छात्र संगठनों, जन संगठनों, कर्मचारी संगठनों से हड़ताल में सहयोग की अपील करते हुए अब तक समर्थन में आए संगठनों व आम जनता का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि सरकार अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन विभाग का निजीकरण करने पर उतारू है और ऐसा करके सरकार परिवहन बसों में जनता को मिल रही निशुल्क यात्रा की सुविधा छीनना चाहती है। सरकार सीधे रूप से यह सुविधा वापिस नहीं ले सकती लेकिन परिवहन विभाग का निजीकरण करके ये सुविधाएं छीनने का प्रयास कर रही है।
दलबीर किरमारा, हरिनारायण शर्मा, इन्द्र सिंह बधाना, अनूप सहरावत, जयभगवान कादियान, सरबत सिंह पूनिया, पहल सिंह तंवर, ओमप्रकाश ग्रेवाल व रमेश सैनी ने कहा कि सरकार ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए 720 बसों में से 510 को टेंडर अलॉट कर दिये और इनमें से 49 बस मालिक ऐसे हैं, जिनको नियमों को ताक पर रखकर टेंडर अॅलाट किये गए हैं। इनके लिए विभाग की वेबसाइट को भी बदला गया और अन्य नियम भी बदले गए। सरकार ने 49 बस मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरे प्रदेश की जनता को परेशानी में डाल रखा है। उन्होंने कहा कि 720 निजी बसों को परमिट देने की प्रक्रिया में इतना बड़ा घोटाला है, जितना आज तक कभी नहीं हुआ। सरकार केवल इन बसों को हटाने व इनकी जांच करवाने से कतरा रही है क्योंकि इस जांच की लपटें सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों व उच्चाधिकारियों तक जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि 25 अक्तूबर तक बातचीत से समस्या का समाधान नहीं निकालती है तो फिर हड़ताल को और बढ़ा दिया जाएगा, जिसकी जिम्मेवारी सरकार की होगी।