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ऐसे करें नकली मावे की असली पहचान

दिवाली का सीजन शुरू हो चुका है जो मिठाईयों की मिठास के बिना अधूरा है। लेकिन इन दिनों मार्केट में मिलावट का मायाजाल भी देखने को मिल रहा है। आप बाजार में बनी मिठाई खरीदें या फिर घर पर मिठाई बनाने के लिए बाजार से मावा या खोवा खरीदें, मिलावाटी मावे का कारोबार जोरों पर चल रहा है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर आप घर बैठे मिलावटी मावे या खोवे की पहचान कैसे कर सकते हैं।

मिलावटी मावा या खोवा बनाने के लिए सिंथेटिक दूध का इस्तेमाल किया जाता है जिससे कैंसर होने का डर सबसे अधिक रहता है। नकली मावे के सेवन से लीवर को भी काफी नुकसान होता है। लीवर में सूजन और आंतों में संक्रमण होने का डर बढ़ जाता है। साथ ही मिलावटी मिठाई और मावा खाने से पीलिया यानी जॉन्डिस भी हो सकता है।

यूं करें नकली-असली की पहचान
असल में, मिलावटी या नकली मावे का स्वाद व रंग सामान्य से अलग होता है। मिलावटी मावे को उंगलियों में लेकर रगड़ने पर उसमें चिकनापन नहीं है, तो समझ जाएं कि वह नकली है।
मिलावटी मावे की पहचान के लिए थोड़ा-सा मावा लेकर उसे किसी बर्तन में रखकर उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर गर्म करें। गर्म होने के बाद उसमें टिंचर आयोडीन की कुछ बूंदे डालें। अगर खोवे में स्टार्च मिला होगा तो उसका रंग तुरंत नीला हो जाएगा, जबकि असली मावे का रंग पहले जैसा ही रहेगा। इसी तरीके से मिलावटी मावे से बनी मिठाई की भी जांच घर पर की जा सकती है।

एक्सपर्ट्स की मानें, तो 1 किलो दूध से सिर्फ 200 ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे मावा बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं होता और वे मावे में मिलावट करते हैं। मिलावटी मावा बनाने में अक्सर शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा नकली मावे का वजन बढ़ाने के लिए उसमें स्टार्च और आयोडीन की मिलावट भी की जाती है। कुछ दुकानदार दूध के पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर भी मावा तैयार करते हैं।

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