हिसार

पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुपालन विभाग ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी

हिसार,
पशुपालन विभाग ने कड़ाके की ठंड के मद्देनजर पशुओं का सर्दी से बचाव के लिए पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की है जिसमें कहा गया है कि पशुपालक दिन छिपने से पहले अपने पशुओं, विशेषकर छोटे पशुओं को शैड या घर में बांध दें। इस संबंध में पशुपालकों को जागरूक करने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा सभी गांवों में जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. डीएस सिंधू ने हांसी व नारनौंद उपमंडलों के गांवों हांसी, माढा, नारनौंद, खांडाखेड़ी, पेटवाड़, थुराना व खरड़ अलीपुर स्थित पशु चिकित्सालयों का दौरा किया और पशु चिकित्सकों से जानकारी ली कि उनके क्षेत्र में सर्दी से पशुधन पर कोई विपरीत प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। उन्होंने पशु चिकित्सकों को निर्देश दिए कि वे पशुपालकों को पशुओं के रखरखाव के संबंध में जागरूक करें और उन्हें बताएं कि इस मौसम में पशुओं के खानपान में क्या सामग्री शामिल की जाए ताकि पशु सर्दी से बचे रहें।
उन्होंने बताया कि पशुपालक अपने पशुधन, खासकर छोटे कटड़े-कटडिय़ों को ठंडी हवाओं व सर्दी के प्रकोप से बचाने के लिए शाम को सूरज छिपने से पहले शैड अथवा घर में जरूर बांध दें। जरूरत पड़ने पर एक कोने में आग जलाकर शैड में गर्मी उत्पन्न करने का प्रयास करें। कमरे को पूर्णत: बंद न करें ताकि दमकसी की स्थिति पैदा न हो। खुले शैड अथवा बरामदे में बंधने वाले पशुओं के लिए बोरी आदि का पल्लड़ बनाकर सर्दी से बचाव करें। छोटे पशुओं को पर्याप्त मात्रा में दूध पिलाएं ताकि उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे और वे निमोनिया व सफेद दस्त से बचे रहें। इसके साथ ही जूणों की दवा व लीवर टोनिक भी जरूर दें।
उन्होंने कहा कि रात को पशुओं का बिछावन सूखा रखें। गोबर व पेशाब आदि से गीला होने पर बिछावन को बदलते रहें। जहां तक संभव हो पशुओं को सूरज निकलने के बाद ही बाहर निकालें। पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं लेकिन रात का ठहरा हुआ पानी न पिलाएं। मौसम के हिसाब से गुनगुना पानी पिलाना उचित होता है। दुधारू पशुओं को प्रतिदिन कम से कम 100 एमएल कैल्शियम जरूर दें। प्रतिदिन 250 से 500 ग्राम गुड़ भी खिलाया जाए तो पशुओं में बी-कॉम्पलेक्स व आयरन की आपूर्ति होती रहती है। पशुओं को खनिज-लवण भी खिलाते रहें। खुरली में सेंधा नमक के टुकड़े रखें जिसे पशु चाटता रहे। इससे पशुओं को भूख भी लगेगी तथा चारा हजम होगा और शरीर में नमक की मात्रा पूरी रहेगी तो शरीर का तापमान सही रखने में मदद मिलेगी।
डॉ. सिंधू ने कहा कि यदि पशु के रोयें खड़े दिखे, वह सुस्त दिखे अथवा कोने में खड़ा रहे या दूध कम दे और चारा भी कम खाए तो तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें ताकि समय पर पशु का इलाज हो सके। पशुपालन विभाग में कार्यरत सभी पशु चिकित्सक व सहायक निरंतर सामान्य व आपातकालीन सेवाएं दे रहे हैं। विभाग द्वारा पशुओं के लिए निशुल्क दवाइयां दी जाती हैं, पशुपालकों को विभाग की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।

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