हिसार,
दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एन.के. चड्डा ने कहा है कि हमें अपनी भावना के प्रति जागरुक होना चाहिए तथा दूसरे की भावनाओं को भी समझना चाहिए। हम अपनी भावनाओं के प्रति जागरुक होकर ही दूसरे की भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। प्रो. चड्डा गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं मार्गदर्शन सैल के सौजन्य से हुई ‘भावनात्मक बौद्धिकता’ विषय पर कार्यशाला को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे। अध्यक्षता मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं मार्गदर्शन सैल के निदेशक प्रो. संदीप राणा ने की।
प्रो. एनके. चड्डा ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्वयं का प्रबंधन व्यक्तित्व के विकास के लिए अति आवश्यक है। स्वयं के प्रबंधन के बिना हम अपने रिश्तों व कार्यों को व्यवस्थित नहीं कर सकते। भावनात्मक रूप से बौद्धिक व्यक्तियों में निर्णय लेने की क्षमता अपेक्षाकृत बेहतर होती है। ऐसे व्यक्ति अपनी आलोचना को भी सकारात्मक रूप से लेकर बेहतरी के लिए प्रयास करते हैं तथा तनावपूर्ण परिस्थितियों को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करते हैं। इस प्रकार के व्यक्ति परिस्थितियों के अनुसार अपनी भावनाओं को व्यक्त व नियंत्रित कर लेते हैं।
प्रो. संदीप राणा ने अपने सम्बोधन में कहा कि जीवन मेे सफलता के लिए भावनात्मक रूप से संतुलित व मजबूत होना बहुत जरूरी है। भावना का तत्व ही मनुष्य को अन्य प्राणियों से अलग करता है। उन्होंने कहा कि अगर हम प्रत्येक कार्य में भावनात्मक पक्ष का ध्यान रखें तो कार्य को और बेहतर कर सकते हैं। हम गलत कार्य कर ही नहीं सकते। केवल भावनात्मक बिन्दु को समझकर हम समाज, राष्ट्र व दुनिया की बहुत सी अनसुलझी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। कार्यशाला की संयोजक डा. तरुणा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. राकेश बहमनी, डा. संजय व डा. मंजु के अतिरिक्त विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे।