हनुमान मंदिर, मौहल्ला डोगरान के वार्षिक उत्सव का तीसरा दिन
हिसार,
सन्त की कोई जाति नहीं होती। ये विचार साध्वी बाल व्यास भक्ति प्रिया ने हनुमान मंदिर, डोगरान मौहल्ला में चल रही पांच दिवसीय कथा के तीसरे दिन की बैठक में प्रवचन देते हुए कहे। उन्होंने कहा कि सन्त किसी वर्ग, जाति और समाज के लिए नहीं अपितु वे सबके होते हैं और जिसमें केवल प्राणी मात्र का कल्याण हो, वही उनकी हार्दिक भावना रहती है। जैसे गंगा का जल और वृक्ष का फल सबके लिए होता है, वैसे ही सन्तों का आशीर्वाद और अनुभव भी सबके लिए होता है। सूरज तपता है, नदी बहती है सबके लिए, दीपक जलता है सबके लिए वैसे ही सन्त भी सबके लिए होते हैं।
अन्त में श्रद्धालुओं द्वारा भगवान की मंगलमयी आरती के बाद प्रसाद वितरण किया किया। इस अवसर पर मुख्य यजमान डॉक्टर रमेश चन्द हसीजा, डॉक्टर सुदर्शन हसीजा के साथ नरेन्द्र नागपाल मास्टर राम शरण भुटानी, विजय निझावन, मनोज मनचन्दा, त्रिलोक डालमिया, सुशील जैन, कृष्ण बाल्मीकि, कृष्णा देवी, आशा शर्मा, उषा शर्मा, गुलशन वधवा आदि अनेक श्रद्धालुओं ने सन्तों के प्रवचनों का धर्म लाभ कमाया। मंदिर के सचिव कृष्ण मदान ने बताया कि 15 मार्च को प्रात: 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक कथा का आयोजन किया जाएगा।