नई दिल्ली,
राजधानी दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप कांड में शुक्रवार को करीब सवा सात साल के बाद इंसाफ हुआ है। तिहाड़ जेल के फांसी घर में आज सुबह ठीक 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दी गई। निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया और अब इनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाएगा।
Delhi: Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim show victory sign after Supreme Court's dismissal of death row convict Pawan Gupta's plea seeking stay on execution. pic.twitter.com/FPDy0hgisv
— ANI (@ANI) March 19, 2020
सात साल 3 महीने और तीन दिन पहले यानी 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी में हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। सड़कों पर युवाओं का सैलाब इंसाफ मांगने के लिए निकला था और आज जाकर उसका नतीजा निकला है।
निर्भया की मां आशा देवी ने एक लंबे समय तक इंसाफ के लिए इस लड़ाई को लड़ा था, आज जब दोषियों को फांसी दी गई तो उन्होंने ऐलान किया कि 20 मार्च को वह निर्भया दिवस के रूप में मनाएंगी। आशा देवी का कहना है कि वह अब देश की दूसरी बेटियों के लिए लड़ाई लड़ेंगी।
Delhi: People, including women rights activist Yogita Bhayana celebrate & distribute sweets outside Tihar jail where four 2012 Delhi gang-rape case convicts were hanged at 5:30 am today. https://t.co/UzgNQgeGoV pic.twitter.com/ffS56YpFt9
— ANI (@ANI) March 20, 2020
नहीं सोए आखिरी रात
फांसी से पहले चारों दोषियों में से सिर्फ मुकेश और विनय ने ही रात का खाना खाया, लेकिन पवन और अक्षय ने खाना नहीं खाया। दोषियों के वकील एपी सिंह ने आरोप भले ही लगाया कि दोषियों को परिवार से नहीं मिलने दिया जा रहा है, लेकिन दोषी मुकेश के परिवार ने फांसी से कुछ देर पहले आखिरी मुलाकात की। उधर सभी दोषियों ने बेचैनी में आखिरी वक्त गुजारी। पूरी रात सभी दोषी सो नहीं पाए। दोषियों से नाश्ते के लिए भी पूछा गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। चारों दोषियों को तिहाड़ की जेल नंबर 3 में रखा गया। इनमें एक दोषी वार्ड नंबर 1 में, दूसरा दोषी वार्ड नंबर 7 की सेल में और बाकी दो दोषी नंबर 8 सेल में रखा गया था। इन सेल के रास्ते सीधे फांसी वाली जगह तक जुड़ते हैं।
आखिरी पल तक हुई बचाने की कोशिश
निर्भया के चारों दोषियों की ओर से आखिरी वक्त तक फांसी को टालने की कोशिश की गई। वकील एपी सिंह ने फांसी के दिन से एक दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट में डेथ वारंट को टालने के लिए याचिका दायर की गई, लेकिन इसमें दोषियों के खिलाफ फैसला आया।
Delhi: People celebrate & distribute sweets outside Tihar jail where four 2012 Delhi gang-rape case convicts were hanged at 5:30 am today. pic.twitter.com/TepyocII5t
— ANI (@ANI) March 20, 2020
आधी रात को वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जब सर्वोच्च अदालत बैठी तो वहां भी निर्भया के दोषी कुछ ऐसी दलील नहीं दे सके जिसकी वजह से ये फांसी टले। हालांकि, एपी सिंह लगातार इस फांसी को गलत बताते रहे और मीडिया-अदालत और राजनीति पर आरोप मढ़ते रहे।
16 दिसंबर की रात को क्या हुआ था?
16 दिसंबर 2012 की रात को हिंदुस्तान में कोई शख्स नहीं भूल सकता। राजधानी दिल्ली के मुनेरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया। इस मामले में दरिंदगी की वो सारी हदें पार की गई, जिसे देखकर-सुनकर कोई दरिंदा भी दहशत में आ जाए। वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था। दोषियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी। इसके बाद युवती और दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था।
पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया। वहां अस्पताल में इलाज के दौरान 29 दिसंबर को पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई। पीड़िता की मां ने बताया था कि वह आखिरी दम तक जीना चाहती थी।
निर्भया के दोषियों को सजा दिलाने की लड़ाई दिल्ली की अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक होती रही। अदालती सुनवाईयों के दौरान ही निर्भया के एक दोषी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद भी बाकी के चारों दोषियों ने कई बार कानूनी दांव-पेच खेले। कभी स्थानीय अदालत में याचिका तो कभी सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली। कई बार फांसी टली भी लेकिन आखिरकार शुक्रवार को चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया।