नई दिल्ली,
विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। मीरा कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, सीताराम येचुरी, शरद पवार जैसे विपक्ष के कई नेताओं की मौजूदगी में नामांकन भरा। नामांकन से पहले मीरा कुमार बुधवार सुबह राजघाट पहुंची।
इससे पहले उन्होंने मंगलवार को ऐलान किया था कि वह अपना चुनाव प्रचार साबरमती आश्रम से शुरू करेंगी।
विचारधारा की लड़ाई
मीरा कुमार ने कहा कि विपक्ष की पार्टियों ने सर्वसम्मति से मुझे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया। विपक्षी दलों की एकता समान विचारधारा पर आधारित है। मीरा कुमार ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों, पारदर्शिता, प्रेस की आजादी और गरीब का कल्याण हमारी विचारधारा के अंग हैं, इनमें मेरी गहरी आस्था है।
उन्होंने कहा कि इस चुनाव में मैं इस विचारधारा पर ही राष्ट्रपति चुनाव लडूंगी। मीरा कुमार ने कहा कि मैंने सभी निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों को पत्र लिख मेरा समर्थन करने की अपील की है, उनके सामने इतिहास रचने का अवसर है।
पहले नहीं होता था जाति का जिक्र
मीरा कुमार ने कहा कि मैं अपना प्रचार साबरमती आश्रम से शुरू करुंगी। उन्होंने कहा कि बहुत जगह ये चर्चा है कि दो दलित आमने-सामने हैं। हम अभी भी ये आकलन कर रहे हैं कि समाज किस तरह सोचता है। जब उच्च जाति के लोग उम्मीदवार थे, तो उनकी जाति की चर्चा नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि जाति को गठरी में बांधकर जमीन में गाड़ देना चाहिए, और आगे बढ़ना चाहिए।
मीरा कुमार-रामनाथ कोविंद आमने-सामने
गौरतलब है कि मीरा कुमार का मुकाबला एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद से है। एजुकेशन के लिहाज से देखा जाए तो रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार दोनों ही काबिल व्यक्ति हैं। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मीरा कुमार की सफल पारी को देश की जनता देख चुकी है। मीरा कुमार अगली पीढ़ी की दलित हैं। असल में वे पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की पुत्री हैं और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज से पढ़ाई की है। वे 1970 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुनी गई थी और कई देशों में राजनयिक के रूप में सेवा दे चुकी हैं।
दूसरी तरफ, कोविंद एक कानपुर देहात जिले के एक गांव में साधारण परिवार में पैदा हुए। उन्होंने कानपुर के एक कॉलेज से पढ़ाई की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद राजनीति में प्रवेश किया। उनका प्रशासनिक अनुभव बिहार के राज्यपाल के रूप में है। दोनों ने वकालत की पढ़ाई की है। कोविंद का चयन भी प्रशासनिक सेवा के लिए हो चुका था, लेकिन उन्होंने नौकरी करने की जगह वकालत करना पसंद किया। मीरा कुमार 72 साल की हैं, जबकि रामनाथ कोविंद 71 साल के हैं।