हिसार

अच्छा होता मुख्यमंत्री किसान संगठनों से भी बात करते : का हरपाल सिंह

हिसार,
किसान सभा हरियाणा के महासचिव व पूर्व विधायक का. हरपाल सिंह ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस किसान संगठनों से बातचीत न किये जाने पर प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने आढ़तियों से तो बातचीत कर उनके सहयोग आश्वासन पर धन्यवाद भी दे दिया परन्तु किसी किसान संगठन या किसानों से भी उनकी तकलीफों व जरूरतों बारे बातचीत कर लेते तो बहुत अच्छा होता। किसान सभा 13 मार्च से लगातार मांग करती रही है कि असामान्य मौसम की मार व फिर 23 मार्च से कोरोना वायरस की वजह से बिना पूर्व चेतावनी के लॉकडाउन से रोजाना कमा कर खाने वाले मजदूरों, किसानों, छोटे-मोटे धंधा कर पेट भरने वालों के लिए जीवन नरक बन गया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों का कर्ज माफ किया जाए, प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को 30 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। अभी भी सरकार फसल को किश्तों में उठाने की बात कर रही है। किसान फसल को कहां व कैसे सम्भाले व बिना भुगतान अपने परिवार का भरण-पोषण अगली फसलों की बुवाई का इंतजाम कैसे करेगा। इस दौरान सब्जी उत्पादक, दूध उत्पादक, पोल्ट्री उत्पादक व छोटे मोटे धंधा करने वालों के हुए तबाहकुन नुकसान की भरपाई पर सरकार खामोश क्यों है। हमारे पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार किसान अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार सरसों 3700 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बेचने पर मजबूर है जबकि सरकारी दाम 4425 प्रति क्विंटल है। हमने पहले भी चेतावनी दी थी और अब फिर मांग कर रहे हैं कि सरकार, प्रशासन, व्यापारिक संगठनों व किसान संगठनों को शामिल कर इस चुनौती से निपटा जा सकता है वरना काला बाजारियों को सस्तां खरीद कर मंहगा बेचने की छूट होगी।
पूर्व विधायक का. हरपाल सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार ने प्रैस वार्ता में ये भी जानकारी नहीं दी कि किसान मुश्किल घड़ी में किस अधिकारी से सम्पर्क करे। ऊपर नीचे उन्हीं की सरकार होने के बावजूद कोई बोनस अतिरिक्त राहत बर्बाद फसलों की भरपाई करने की बजाय गेंद केंद्र की तरफ लुढक़ा दी है। जब सारा देश लॉकडाउन में फंसा है, अभी भी फसलों को रजिस्टर करवाने को कहना हास्यास्पद है। क्योंकि बाहर के राज्यों से फसल आना संभव नहीं। इसलिए वे पुरजोर मांग करते हैं कि सरकार बिना शर्त सभी फसलों को लागत की डेढ़ गुना कीमत पर खरीदे। बर्बाद फसलों का मुआवजा दे, डेयरी, पोल्ट्री व सब्जी उत्पादक किसानों को राहत दे। किसान संगठनों, प्रशासन अधिकारियों व व्यापारिक संगठनों का तालमेल बनाएं ताकि इस मुसीबत से हम मिलजुल कर पार पा सकें और आने वाले समय में खाद्यान सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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