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नई आशा : महिला अधिकारी की दमदार सोच देगी चाइना मॉडल को टक्कर

(बंशीधर)
कोरोना महामारी के कारण सभी उद्योग—धंधे बंद पड़े है। पूरे विश्व में स्वास्थ कर्मचारियों के पास पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट की कमी है। कमी भी क्या..ये बोलिए इसके अभाव में स्वास्थ्य सेवाएं ही दम तोड़ रही है। विश्व में इस समय बड़े स्तर केवल चाइना ही पीपीई के निर्माण में लगा है। वो इस समय काफी मुनाफे में इसे दूसरे देशों को बेच रहा है। भारत में भी पीपीई किट की कमी है। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार पूरे प्रयास कर रही है। ऐसे ही प्रयास में हरियाणा के हिसार जिले की महिला उपायुक्त प्रियंका सोनी का प्रयास काफी कारगार होता दिखाई दे रहा है। उन्होंने 25 ग्रामीण महिलाओं के दम पर 3 हजार पीपीई किट बनाने का लक्ष्य रखते हुए 284 किट तैयार भी करवा ली। हिसार में अब तक 2 लोगों में कोरोना संक्रमण मिल चुका है। ऐसे में यहां मास्क और पीपीई किट की कमी महसूस की जा रही थी।
पहले तो अस्पताल प्रशासन ने अपने दम पर दर्जियों के मदद से इसे पूरे किया। इसके बाद उपायुक्त प्रियंका सोनी ने बड़े स्तर पर इसका निर्माण करवाने की ठानी। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों से बात करके 5 गांव की 25 महिलाओं की टीम तैयार की। इन महिलाओं को किट बनाने का शॉर्ट टाइम प्रशिक्षण देकर पीपीई किट तैयार करवाने का काम आरंभ किया गया। किट तैयार करने वाली महिलाओं को पारिश्रमिक वेतन भी दिया जा रहा है। किट तैयार करवाने के लिए मेटिरियल डॉक्टरों की टीम की देखरेख में खरीदा गया। कई सैंपल फेल होने के बाद डॉक्टरों की टीम ने 100 प्रतिशत सेफ मेटिरियल की खरीद को हरी झंड़ी दी। इसके बाद प्रशासन ने बिना देर किए 3000 किट का मेटिरियल खरीद लिया।
एक किट बनाने का कपड़ा 610 रुपए का पड़ रहा है। इसे पूरी तरह तैयार करने के बाद प्रशासन को यह महज 850 रुपए में मिल रहा है। जबकि मार्केट में यह 1500 रुपए में मिलता है। इस प्रकार देखा जाए एक आफिसर की दूरदर्शिता के कारण लॉकडाउन के दौरान ही ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिला और जिला पीपीई किट में आत्मनिर्भर हो गया। यदि ऐसा देश के प्रत्येक जिले में होने लगे तो देश न केवल पीपीई किट के मामले में आत्मनिर्भर हो जायेगा बल्कि दूसरे देशों को भी किट बेच सकेगा। इसे व्यापकता प्रदान करते हुए पीपीई किट, मास्क और घरेलू स्तर पर बनने वाला समान सरकार लॉकडाउन के दौरान बनवा सकती है। इससे आमजन को घर बैठे रोजगार मिलेगा और देश को एक नया उद्योग। इससे न केवल चाइना बाजार का दबदबा विश्व बाजार में कम होगा बल्कि देश की आर्थिक स्थिती में योगदान बढ़ेगा।
इससे पहले भी हिसार उपायुक्त ने हर घर में भोजन पहुंचाने का क्रांतिकारी कदम उठाया था। उन्होंने घरों में खाने पहुंचाने का 25 रुपए रेट तय किया। इसमें एक दाल, एक मौसमी सब्जी, एक मिठाई, 4 रोटी और चावल शामिल है। खाने का रेट तय होने के बाद बिना जरुरत के कोई खाना मंगवा नहीं रहा, वहीं पीजी में रहने वाले विद्यार्थियों, अकेले रहने वाले लोगों और टीफिन सर्विस पर निर्भर लोगों को कम रेट पर बढ़िया खाना मिल रहा है।
फंडा ये है कि सरकार एक छोटा—सा कदम उठाकर लोगों को घर बैठे काम दे सकती है और महामारी के दौरान देश स्वास्थ मामले में आत्मनिर्भर हो सकता है। साथ ही सरकार निर्यात करके लॉकडाउन के दौरान एक नए उद्योग को जन्म दे सकती है जिसमें ग्रामीण स्तर की महिलाओं का पूरा योगदान होगा।

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