हिसार

कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर एक साल तक रोक लगाने के निर्णय का कर्मचारी संगठनों ने किया विरोध

हिसार,
केंद्र सरकार द्वारा कोविडन-19 की आड़ में करोड़ों कोरोना योद्धाओं सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर एक साल तक रोक लगाने के निर्णय का कर्मचारी संगठनों ने तीखा विरोध किया है। सरकार ने यह निर्णय जनवरी 2020 से लागू करने का ऐलान किया है।
सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव नरेश गौतम, सर्व कर्मचारी संघ के केंद्रीय कमेटी के नेता और पशुपालन कर्मचारी के राज्य के राज्य महासचिव छबील दास मौलिया, यूनियन सर्व कर्मचारी संघ के जिला कोषाध्यक्ष पवन कुमार, जिला सह- सचिव अशोक सैनी, मैकेनिकल वर्कर यूनियन के जिला सचिव रमेश शर्मा, ऑल हरियाणा कारपोरेशन के सर्कल सचिव जगमिंदर पुनिया, नगर निगम कर्मचारी यूनियन के यूनिट प्रधान प्रवीन कुमार, अध्यापक संघ के जिला प्रधान सुरेन्द्र सैनी हिसार ब्लॉक के प्रधान सुरेन्द्र मान, ब्लॉक सचिव सुभाष गुज्जर, रोडवेज हिसार डिपो के प्रधान राजकुमार, हुडा कर्मचारी यूनियन के शमशेर धानिया, हेमसा के जिला सचिव मंगल सिंह, स्वास्थ विभाग से सोना देवी, आईटीआई संगठन के मोहन लाल सुथार ने आज एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार का कोविड-19 की आड़ में महंगाई भत्ते की जनवरी व जुलाई 2020 तथा जनवरी 2021 में मिलने वाली कुल तीन महंगाई भत्तों की किश्तों पर रोक लगाने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसे सरकार को तुरंत वापस लेना चाहिए।
उन्होंने सवाल किया कि सरकार ने पिछले 6 सालों में कॉरपोरेट घरानों को लाखों करोड़ों की राहतें दी हैं और लाखों करोड़ों के कर्जों को बट्टे खातों में डाला है। सरकार संकट की इस घड़ी में उनसे फंड क्यों नहीं एकत्रित करती।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार कोरोना का फायदा उठाकर कर्मचारियों व मजदूरों के काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने और बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण कर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की जल्दबाजी में दिखाई दे रही है। इस निर्णय के खिलाफ केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारी राष्ट्रीय स्तर पर विरोध करेंगे।
सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव नरेश गौतम ने कहा कि लॉकडाउन में कोरोना के खिलाफ सरकारी विभाग व सरकारी कर्मचारी अपर्याप्त सुरक्षा उपकरणों के बावजूद निडरता के साथ डटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त प्रदेश के कर्मचारियों ने हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड में 100 करोड़ से ज्यादा का योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में यह प्रक्रिया उचित नहीं है। इससे साफ है कि संकट की इस घड़ी में सरकार अपनी मनमर्जी करना चाहती है, क्योंकि जनवरी 2020 के महंगाई भत्ते की 4 प्रतिशत किश्त का सरकार ने पहले ही ऐलान किया हुआ था, जिस पर भी रोक लगा दी गई है।

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