हिसार,
एक छोटा सा नींबू का बीज पूरे दूध को फाड़ देता है, ठीक वैसे ही एक छोटे से वायरस ने पूरी मानव जाति के सुखों को खटास से भर दिया। हर चेहरा आशंकित और आतंकित नजर आ रहा है। हर व्यक्ति के दिमाग को यह प्रश्न कुरेद रहा है कि आखिर कब इस राक्षस से निजात मिलेगी। भगवान् महावीर की वाणी आगमों में निबद्ध है, वहां बीमारी मात्र से बचने के उपायों की चर्चा की गई है। कोरोना से निजात के लिए संयम के साथ जागरुकता जरूरी है।
यह बात तेरापंथ धर्म संघ के अचार्य महाश्रमण के आज्ञा अनुवर्ती मुनि विजय कुमार ने हिसार में प्रकट किये। उन्होंने कहा कि ऐसे संकट से बचने का पहला बिन्दू है संयम। इसके अनेक प्रकार हैं, जैसे-हाथ का संयम, पांव का संयम, बोलने का संयम, भोजन का संयम आदि। वर्तमान के इस आपदाकाल में संयम की महत्ता और ज्यादा बढ़ गई है। प्रधानमंत्री मोदी भी कहते हैं, दूर से ही नमस्कार करलें, हाथ मिलाए नहीं, अपने घर में रहें, बाहर अनावश्यक घूमें नहीं। बोलने का विवेक और संयम भी जरूरी है। व्यक्ति बोलकर कई बार झगड़ा खड़ा कर देता है, वातावरण को अशांत बना देता है। आवश्यक बात भी प्रेम और मैत्री भावना से कहें। खाने में नॉनवेज का प्रयोग तो कतई नहीं होना चाहिए। वेज में भी पदार्थ सीमित होने चाहिए। संयम के साथ ही जागरूकता बहुत जरूरी है। भगवान् महावीर का भी एक सूक्त है- ‘सव्वतो प्रमत्तस्स भयंÓ प्रमत्त अर्थात लापरवाह व्यक्ति को चारों तरफ से खतरा रहता है। चिंताजनक बात तो यह है कि स्वयं की लापरवाही दूसरों के लिए तबाही का कारण बन सकती है। इसलिए संयम के साथ सतत् जागरूकता भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योगशास्त्र में अनेक प्रकार की योगिक क्रियाएं, आसन, ध्यान, प्राणायाम आदि का वर्णन उपलब्ध होता है। उनका प्रतिदिन प्रयोग करके व्यक्ति कोरोना के आक्रमण से बच सकता है। इस दृष्टि से अभी कुछ दिनों पूर्व यू-ट्यूब पर प्रेक्षा फाउंडेशन के प्रेक्षा मेडिटेशन चैनल पर मुंबई निवासी वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक पारसमल दूगड़ का एक कार्यक्रम प्रसारित हुआ है, जिसमें कई प्रकार के प्रयोग उन्होंने बताए हैं, वे जन-जन के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
विजय मुनि ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में व्यक्ति का बाहर गमनागमन बंद जैसा हो गया है। काम करने वाला व्यक्ति दिन भर घर पर रहता है तो उसे घर कैदखाने जैसा लगता है, मन बोर हो जाता है। इस बोरियत से बचने के लिए व्यक्ति अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित बना ले। अनेक व्यक्ति ऐसे होते हैं जिन्हें भागदौड़ के कारण भगवान् का नाम लेने का भी समय नहीं मिलता है, वे अब भगवद् भजन या गुरुवाणी का पाठ करके दिन का प्रारंभ कर सकते हैं। प्रात: योगाभ्यास, प्राणायाम, ध्यान के प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा स्वाध्याय, सामायिक, घर की प्रतिलेखना करके समय का सदुपयोग किया जा सकता है। परिवार के साथ बैठने का अच्छा समय इन लोक डाउन के दिनों में मिल सकता है, बच्चों को अपने पास बिठाकर उन्हें संस्कार दान का पवित्र काम भी इन दिनों में किया जा सकता है। मूल बात है, समय का सार्थक और निष्पत्तिपरक उपयोग करें। दिनभर टी.वी., मोबाइल में लगे रहना उपयुक्त नहीं है, स्वास्थ्य के लिए भी यह हानिकारक सिद्ध होता है।