फतेहाबाद

नीली क्रांति को बढ़ावा देने के लिए सरकार दे रही अनुदान राशि : उपायुक्त

किसानों को मिल रहा है 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक का अनुदान

फतेहाबाद,
उपायुक्त नरहरि सिंह बांगड़ ने बताया कि नीली क्रांति योजना के तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक लाभकारी अनुदान योजनाएं लागू की है। मत्स्य विभाग की योजनाओं पर किसानों को 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है।
उपायुक्त ने बताया कि नये तालाबों, टैंकों के निर्माण पर 7 लाख रुपये प्रति हैैक्टेयर खर्चा आता है, जिस पर सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मौजूदा तालाबों, टैंकों की मुरम्मत पर भी अगर किसान 3 लाख 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर खर्च करते हैं, तो उन्हें भी अनुदान दिया जाएगा। ताजे पानी की मछली पालन की खाद-खुराक पर भी एक लाख 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर की लागत पर तथा मिशन फिंगर्लिंग के तहत नये तालाबों और टैंकों के निर्माण पर 6 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर के खर्चे पर निर्धारित अनुदान दिया जाएगा। मिशन फिंगर्लिंग के तहत मछली बीज, फीड, खाद आदि के लिए भी किसानों को 1 लाख 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर के खर्चे पर 40 से 60 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा।
नरहरि सिंह बांगड़ ने बताया कि जलमग्न क्षेत्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने व जलमग्न क्षेत्र का विकास करने के लिए किसान को अनुदान दिया जाता है। यह अनुदान राशि सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत, महिला और अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए 60 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक यूनिट की लागत 5 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर है तो उस पर भी निर्धारित 40 और 60 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। लवणीय भूमि जल में मत्स्य पालन के लिए नये तालाबों और टैंकों के निर्माण पर प्रति हैक्टेयर 7 लाख रुपये खर्च होते हैं। रि-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम के तहत एक यूनिट लगाने के लिए 50 लाख रुपये का खर्च आता है और लवणीय भूमि में झिंग्गा पालन के लिए यूनिट की लागत 10 लाख रुपये है, तो ऐेसी योजना पर भी सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत और महिला तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए 60 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है।
उपायुक्त ने बताया कि अनुसूचित जाति के मत्स्य पालकों को प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय सहायता दी जाती है। अनुसूचित पानियों के निलामी की राशि पर 25 प्रतिशत अनुदान वास्तविक निलामी पर दिया जाता है। तालाबों के प्रथम वर्ष के पट्टा राशि पर 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में दिया जाता है जो 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर से कम और 2 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर से ज्यादा न हो। खाद, खुराक पर भी 1 लाख 50 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालकों को प्रति दिन 100 रुपये प्रशिक्षण के लिए भी दिए जाते है। जाल खरीदने के लिए अधिकतम 15 हजार रुपये पर 50 प्रतिशत की दर से 7500 रुपये दिया जाता है। जिस गांव में अनुसूचित जाति की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है, उन गांवों में तालाबों के सुधार के लिए पंचायत के लिए 2 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर वित्तीय सहायता दी जाती है।
उपायुक्त ने किसानों से अपील की है कि वे कृषि के साथ-साथ उससे जुड़े हुए दूसरे काम धंधों को कर अपनी आजीविका को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में किसान मत्स्य पालन कर सकते हैं और विभाग द्वारा लागू की गई योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि अनुदान राशि के अलावा किसान स्वयं बैंक द्वारा भी ऋण लेकर काम शुरू कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इच्छुक किसान हरियाणा सरकार के सरल पोर्टल पर अथवा जिला मत्स्य अधिकारी फतेहाबाद के कार्यालय और डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट एचआरएफआईएसएच डॉट जीओवी डॉट आईएन पर संपर्क कर योजना बारे जानकारी लेकर लाभ उठाएं।v

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