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‘मन की बात’ में PM ने खोला राज, दुनियां के कई नेता भारत की इस प्राचीन पद्धति में ले रहे रुचि

नई दिल्ली,
पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के 65वें भाग में एक बार फिर से देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि दुनियां के कई नेता फोन पर उनसे योग और आयुर्वेद के बारे में पूछ रहे हैं। भारत की इस प्राचीन पद्धति को दुनियाभर के नेता अपने जीवन में उतारने में लगे हुए है।

प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि पिछली बार जब मैंने पिछली बार आपसे मन की बात की थी, तब यात्री ट्रेनें बंद थी, बसें बंद थी, हवाई सेवा बंद थी। इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है। श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही हैं, अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं। तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है.. यानी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है। ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है। जो नुकसान हुआ है, उसका दु:ख हम सबको है, लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है।
पीएम ने कहा, आपने देखा होगा कि दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति के जीवन में, कोई डिप्रेशन या तनाव कभी नहीं दिखता। उसके जीवन में, जीवन को लेकर उसके नजरिए में, भरपूर आत्मविश्वास, सकारात्मकता और जीवंतता प्रतिपल नजर आती है।
पीएम मोदी ने कहा—साथियो, हमारे डॉक्टर्स,नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी, ये सब जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है। सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है। ऐसे ही एक सज्जन हैं तमिलनाडु के सी. मोहन. सी मोहन मदुरै में एक सैलून चलाते हैं। इन्होंने अपनी मेहनती की कमाई से बेटी की पढ़ाई के लिए पांच लाख रुपये बचाए थे। लेकिन इन दिनों उन्होंने अपनी सारी जमा-पूंजी देश की सेवा के लिए खर्च कर दी।
देश के सभी इलाकों से वुमन सेल्फ हेल्प ग्रुप के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियां इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं। गांवों, कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियां, हर दिन मास्क बना रही हैं। तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं। साथियो, ऐसे कितने ही उदाहरण, हर दिन, दिखाई और सुनाई पड़ रहे हैं। कितने ही लोग, खुद भी मुझे नमो एप और अन्य माध्यमों के जरिए अपने प्रयासों के बारे में बता रहे हैं।
उन्होंने कहा मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था। कई दुकानदारों ने दो गज की दूरी के लिए दुकान में बड़े पाइपलाइन लगा लिए हैं, जिसमें एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं और दूसरी छोर से ग्राहक अपना सामान ले लेते हैं। इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग इनोवेशन शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं। ऑनलाइन क्लासेज और वीडियो क्लासेज अलग-अलग तरीकों से इनोवेट किया जा रहा है।

कोरोना की वैक्सीन पर हमारी लैब्स में जो काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नजर है। किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है।
साथियो, कोरोना एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है। पहले का अनुभव नहीं है। ऐसे में नयी चुनौतियां, परेशानियां हम अनुभव कर रहें हैं। ये दुनिया के हर देश में हो रहा है। इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है।
हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्र, राज्य, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं- दिन-रात मेहनत कर रहें हैं। जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं। लाखों श्रमिकों को ट्रेनों, बसों से सुरक्षित ले जाना और उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में क्वारंटीन केन्द्रों की व्यवस्था, सभी की टेस्टिंग, चेक-अप, उपचार की व्यवस्था, ये सब काम लगातार चल रहे हैं।

साथियो, जो दृश्य आज हम देख रहे हैं, इससे देश को अतीत में जो कुछ हुआ उसके अवलोकन और भविष्य के लिए सीखने का अवसर भी मिला है। आज, हमारे श्रमिकों की पीड़ा में, देश के पूर्वीं हिस्से की पीड़ा को देख सकते हैं। उस पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है। केंद्र सरकार ने अभी जो फैसले लिए हैं उससे गांवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएं खुली हैं। अगर, हमारे गांव, कस्बे, जिले, राज्य, आत्मनिर्भर होते तो अनेक समस्याओं ने वो रूप नहीं लिया होता, जिस रूप में वो आज हमारे सामने हैं।

जैसे, कहीं श्रमिकों की स्किल मैपिंग का काम हो रहा है, कई स्टार्टअप इस काम में जुटे हैं, कहीं माइग्रेशन कमीशन बनाने की बात हो रही है। मुझे पूरा भरोसा है आत्मनिर्भर भारत अभियान, इस दशक में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगा। कोरोना संकट के इस दौर में मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है। लेकिन, मैं एक राज बताना चाहूंगा – विश्व के अनेक नेताओं में इन दिनों, बहुत ज्यादा दिलचस्पी योग और आयुर्वेद के सम्बन्ध में होती है। हर जगह लोगों ने योग और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में और ज्यादा जानना चाहा है। कितने ही लोग जिन्होंने कभी योग नहीं किया, वे भी ऑनलाइन योग क्लास से जुड़ गए हैं या ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं।

कोरोना संकट के इस समय में योग- आज इसलिए भी ज्यादा अहम है क्योंकि, ये वायरस हमारे श्वास तंत्र को सबसे अधिक प्रभावित करता है। योग में तो श्वास तंत्र को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं। ये टाइम टेस्टेड तकनीक है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk