पर्यावरण शुद्धि के लिए हवन-यज्ञ सर्वश्रेष्ठ कार्य
हिसार,
स्वैच्छिक सामाजिक संस्था सजग के प्रदेशाध्यक्ष व आर्य समाज के प्रवक्ता सत्यपाल अग्रवाल ने कहा है कि हवन पर्यावरण शुद्धि के लिए श्रेष्ठतम कर्म है। हवन पर्यावरण शुद्ध करने की ऋषियों द्वारा अनुसंधान की गई वैज्ञानिक विधि है जिसको आधुनिक विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है।
पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में सत्यपाल अग्रवाल ने कहा कि लोकडाऊन के पहले ही दिन से कोरोनावायरस से बचाव व वातावरण शुद्धता के लिए प्रतिदिन अपने अग्रवाल कालोनी स्थित आवास पर हवन-यज्ञ कर रहे सत्यपाल अग्रवाल ने 71वें दिन व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भी हवन-यज्ञ किया। हवन करने के उपरांत अग्रवाल ने हवन-यज्ञ के महत्त्व को सिद्ध करते हुए बताया कि हवन भारत की प्राचीन परंपरा द्वारा प्रदत्त एक अमूल्य उपहार है। प्राचीन समय में पूरे भारत में प्रतिदिन हवन-यज्ञ करने की परम्परा थी। आज भी प्रदूषण के इस युग में हवन-यज्ञ करना सर्वोत्कृष्ट कार्य है। हवन द्वारा ऑक्सीजन से भी ज्यादा लाभकारी एवं स्वास्थ्यवर्द्धक ओजोन गैस उत्पन्न होती है। यज्ञ वातावरण में मौजूद रोगाणुओं (विषाणुओं) को नष्ट करता है और प्रकृति को औषधीय तत्वों से परिपूर्ण कर रोगों का निवारण करता है, मन को प्रसन्न व प्राणवायु की वृद्धि करने वाला हवन आत्मिक, मानसिक व शारीरिक तीनों दृष्टिकोण से स्वास्थ्य वर्धक है, यह मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाला है। पेड़ पौधों व वनस्पतियों के रोपण की प्ररेणा देता है और वृद्धि में सहायक होता है। भारतीय परम्परा में हवन-यज्ञ का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों प्रकार का महत्व है। हवन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के पर्यावरण को शुद्ध करने की हमारे ऋषियों द्वारा अनुसंधान की गई वैज्ञानिक विधि है जिसको आधुनिक विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है। हवन आधुनिक जीवन- शैली में दिनचर्या बनकर, दुनिया को विनाश के कगार पर ले जा रहे प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। अतः प्रतिदिन हवन-यज्ञ दिवस की परंपरा पुनःआरंभ करने से दूरगामी परिणाम काफ़ी सार्थक होंगे।