हिसार

दोस्त

दोस्त कहलाते मित्र सखा यार
दोस्त का होता मधुर व्यवहार
दोस्त पर कर सकते गरुर
दोस्त नहीं होना चाहिए मगरूर!

दोस्त होता दुख सुख का साथी
दोस्त की नहीं होती जाति पाती
दोस्त बढ़ाते एक दूजे की ख्याति
दोस्त की भूमिका में नजर आए थे संपाती!

दोस्त होते यारों के यार
दोस्त नहीं मन में रखते खार
दोस्त हमेशा करते सम व्यवहार
दोस्त होते दिलदार दोस्त ही लगाते नैया पार!

सच्चे दोस्त की महिमा होती न्यारी
जिगरी दोस्त कहलाए सुदामा- कृष्ण मुरारी
सुग्रीव की श्रीराम से हुई जो यारी ,
श्रीराम ने निभाई थीअपनी जिम्मेदारी!

भाई से बढक़र दर्जा पाता दोस्त,
कहीं-कहीं धर्म भाई कहलाता दोस्त
सब कुछ छोड़ दे साथ, विपरीत हो जाएं हालात
दिन रात साथ नजर आता दोस्त!

गांव शहर अस्पताल दफ्तर,
जेल -रेल मैं बन सकते दोस्त
अमीर गरीब छोटा- बड़ा, नेता- अभिनेता
कर्मचारी अधिकारी, व्यापारी सबको चाहिए होता दोस्त!

पुष्कर कहे
दोस्त हो सकते जर दोस्त
दोस्त होते हैं जानी दोस्त
दोस्त होते कोहेनूर
दोस्त होने चाहिए जरूर!!

– पुष्कर दत्त,
1669-ए, सैक्टर 16-17, हिसार
मो. 9416338524

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