हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय की छात्रा द्वारा किए गए अनुसंधान कार्य से मिली जानकारी
पोषण का भंडार कद्दू के बीज, कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने इस रिसर्च के लिए छात्रा को दी बधाई
हिसार,
आमतौर पर पेठे की सब्जी तो सभी बनाते हैं, लेकिन इसके बीजों को गुणकारी होने के बावजूद सब्जी बनाते समय हम अक्सर यूं ही निकाल कर फेंक देते हैं। अनुसंधान कार्य में यह भी पता चला है कि पेठे के बीज पोषण का भंडार होते हैं जो हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने में सहायक हैं और कुपोषण जैसी बीमारी से भी लडऩे में सहायक हैं। यह अनुसंधान कार्य हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय के खाद्य एवं पोषण विभाग की शोध छात्रा डॉ. नीता कुमारी द्वारा की गई है। डॉ. नीता कुमारी ने इस शोध कार्य को विभागाध्यक्षा डॉ. संगीता सिंधु के मार्गदर्शन में किया है। आमजन को ध्यान में विश्वविद्यालय की छात्रा द्वारा किए गए इस शोध कार्य के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने उन्हें व उनके विभाग के प्राध्यपकों को बधाई दी है।
इसलिए चुना शोध का विषय
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय से पीएचडी करने वाली डॉ. नीता कुमारी के अनुसार वे शोध कार्य के लिए कोई ऐसा विषय चुनना चाहती थी जो आम जन के लिए उपयोगी व उनकी पहुंच में हो। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास इतना समय नहीं है कि वे अपनी सेहत पर ध्यान दे सकें जिसके चलते अनेक बीमारियां घेर लेती हैं। इसलिए अपने आहार में कोई ऐसी चीज शामिल करें जिसमें सभी तरह के पोषक तत्व मिल सकें व बीमारियों से दूर रख सकें। कद्दू के बीज इन्हीं में से एक हैं जो पोषक तत्वों से भरपूर हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पेठे के बीजों पर शोध कार्य करने की सोची। इसके लिए खाद्य एवं पोषण विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. संगीता सिंधु से विचार-विमर्श करने के बाद ‘कद्दू के बीज का प्रसंस्करण और खाद्य उत्पाद विकास का उपयोग’ विषय पर शोध कार्य शुरू किया।
कुपोषण रोकने व हड्डियों को मजबूत करने में सहायक
कद्दू के बीज पोषण का भंडार होने के साथ-साथ वसा व प्रोटीन से भी भरपूर होते हैं, जो कुपोषण की बीमारी को रोकने में सहायक होते हैं। इनमें उचित मात्रा में खनिज लवण जैसे कैल्शियम व मैग्नीशियम पाए जाते हैं जो हड्डियों को मजबूत व आस्टियोपोरोसिस को रोकने में मद्दगार हो सकते हैं। ये हड्डियों के फ्रैक्चर को भी कम कर सकते हैं। इसके अलावा इन कद्दू के बीजों में फास्फोरस व जिंक भी पाया जाता है जो आस्टियोपोरोसिस के खिलाफ प्राकृतिक संरक्षक हो सकता है। उन्होंने बताया कि शोध से पता चला है कि कद्दू के बीजों में वसा, फाइबर, प्रोटीन तथा खनिज लवण जैसे कैल्शियम, मैगनीशियम, जिंक, आयरन या लौह तत्व, पौटेशियम व फास्फोरस पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि जब इन बीजों को विभिन्न प्रकार से उपचारित किया तो ये सब पोषक तत्व बढ़ गए थे, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक हैं।
कद्दू के बीजों से ये बना सकते हैं उत्पाद
डॉ. नीता कुमारी ने बताया कि उन्होंने शोध कार्य के दौरान कद्दू के बीजों को विभिन्न प्रकार से उपचारित किया जैसे उबालना, भूनना, अंकुरण व किंवीकरण आदि करके उनसे बिस्किट, कूकिज, ढ़ोकला, ब्रेड, लापसी, कप केक व लड्डू के खाद्य पदार्थ तैयार किए थे, जो ऊर्जा, प्रोटीन व खनिज लवणों से भरपूर थे। इसके अलावा कद्दू के बीजों को भूनकर भी खाया जा सकता है और भूनने के बाद इन्हे पीसकर खाद्य पदार्थ के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने सलाह दी है कि कद्दू के बीजों से उपरोक्त खाद्य पदार्थ बनाकर इन्हें मिड-डे-मिल योजना में भी शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा विवाह-शादियों में भरपूर मात्रा में प्रयोग होने वाले कद्दू के बीज निकालकर व उनको सूखाकर इनका प्रयोग किया जा सकता है और उनको व्यर्थ होने से भी बचाया जा सकता है।
छात्रा की मेहनत काबिलेतारीफ : डॉ. बिमला ढांडा
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. बिमला ढांडा के अनुसार छात्रा द्वारा इस तरह का विषय चुनकर किया गया शोध कार्य सराहनीय व काबिलेतारीफ है। इस तरह के नए व ज्वलंत विषयों पर अच्छे शोध कार्य अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायी होते हैं।
ऐसे विषय चुनें जिससे अधिक से अधिक लोगों को मिले लाभ : कुलपति प्रोफेसर समर सिंह
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा इस तरह के शोध-विषयों का चयन होना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों व मार्गदर्शकों को अच्छे शोध विषयों से प्रेरणा लेकर अनुसंधान क्षेत्र में आगे बढऩे का आह्वान किया है।