हिसार,
जिला के 29 गांवों में यदि कोई किसान अपनी भूमि पर वर्षा जल संग्रहण कुंड का निर्माण करवाना चाहता है तो वह अगले एक सप्ताह तक सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी के कार्यालय में जमा करवा सकता है। इस कार्य के लिए किसान को केवल 20 प्रतिशत धनराशि खर्च करनी है। शेष 80 प्रतिशत खर्च योजना के तहत सरकार द्वारा खर्च किया जाएगा। समेकित जल प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) के तहत अधिकारी खेतों में जल संरक्षण से संबंधित अधिक से अधिक कार्य करवाएं।
यह निर्देश जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी शालिनी चेतल ने आज परिषद की आईडब्ल्यूएमपी योजना की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को दिए। उन्होंने बताया कि जल प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत जिला में करवाए जा रहे विकास कार्यों का प्रतिदिन निरीक्षण किया जाए। आईडब्ल्यूएमपी स्कीम के तहत किसानों के खेतों में जल संरक्षण के अधिक से अधिक कार्य करवाए जाएं और इनकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि योजना के तहत किसान जल संग्रहण के लिए अपने खेतों में 5 लाख रुपये तक की लागत से कुंड का निर्माण करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें केवल 20 प्रतिशत धनराशि खर्च करनी होगी। शेष 80 प्रतिशत लागत सरकार द्वारा योजना के तहत वहन की जाएगी। आवेदन अगले एक सप्ताह में सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी के कार्यालय में जमा करवाएं। कुंड का निर्माण संबंधित आईडब्ल्यूएमपी स्कीम में आने वाले गावों में करवाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जिला को 7 कलस्टर में बांटते हुए 29 गांवों को शामिल किया गया है।
गांव दाहिमा, गुंजार, धमाना, कंवारी, बालावास, दुभेटा, बाडो रांगडान, बाडो ब्राह्मïणान, भर्री, हरिता, डाया, रावत खेड़ा, चिड़ौद, गोरछी, गावड़, पनिहार चक, चौधरीवास, मसूदपुर, डाटा सालाडेरी, गुराना, सिंघवा राघो, सिंधड़, बुड़ाक, बालसमंद, सलेमगढ़, किरतान, खारिया, बगला व काबरेल के किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने आईडब्ल्यूएमपी स्कीम के सभी सातों कलस्टर का विस्तृत ब्यौरा परियोजना क्रियान्वित एजेंसी, पीआईए व सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी से लिया। बैठक में सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी मुकेश शर्मा व जिला तकनीकी सहायक जगदीश चंद्र पूनिया भी मौजूद रहे।