हिसार

डा. समुन्द्र सिंह बने अंतर्राष्ट्रीय खरपतवार विज्ञान सोसायटी (आईडब्लयूएसएस) के अध्यक्ष

अध्यक्ष बनने वाले पहले भारतीय बने एचएयू से सेवानिवृत डॉ. समुंदर सिंह

हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सस्य विज्ञान विभाग से सेवानिवृत डॉ. समुंदर सिंह को अंतर्राष्ट्रीय खरपतवार विज्ञान सोसायटी(आईडब्लयूएसएस) का अध्यक्ष बनाया गया है। डॉ. समुंदर सिंह इस सोसायटी के अध्यक्ष बनने वाले पहले भारतीय हैं। इस सोसायटी को 1975 में अमेरिका में स्थापित किया गया था और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से 750 से अधिक सदस्य हैं। यह न केवल विश्वविद्यालय बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है कि इस प्रतिष्ठित पद पाने वाले डॉ. समुंदर सिंह पहले खरपतवार वैज्ञानिक हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाई दी है।
गेहूं में खरपतवार की प्रतिरोध क्षमता की पहचान करने वाले पहले वैज्ञानिक
वे गेहूं के कई खरपतवारों जैसे कनकी, जंगली जई, जंगली पालक, लोमार घास और बाथू में खरपतवार नाशक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाने वाले पहले वैज्ञानिक थे। उन्होंने सबसे पहले बीज और रोपाई का उपयोग करके कनकी और जंगली जई का रैपिड हर्बिसाइड प्रतिरोध जांच परीक्षण विकसित किया। उन्होंने कनकी के लिए वर्ष 2018-19 में 118 किसानों और वर्ष 2019-20 में हिसार जिले के 100 किसानों को प्रभावी खरपतवारनाशक के उपयोग की सलाह दी। उन्होंने विभिन्न फसलों में प्रभावी खरपतवार प्रबंधन पर 36 से अधिक सिफारिशें विकसित की हैं। उन्होंने 21 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन/सह-आयोजन किया और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अनुसंधान के लिए 65 मिलियन भारतीय रुपये की अनुदान राशि लेने में अहम् भूमिका अदा की है।
पोस्ट डॉक फैलोशिप से किया गया था सम्मानित
उन्होंने ब्रिटिश कॉमनवेल्थ फेलोशिप के तहत पीएचसी और स्ट्रैथक्लाइड विश्वविद्यालय, ग्लासगो, स्कॉटलैंड के बायोटेक्नोलॉजी विभाग से फालारिस माइनर (कनकी) में हर्बिसाइड प्रतिरोधक तंत्र और उसके प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया, जो हरियाणा और अन्य आसपास के राज्यों में गेहूं की भयानक खरपतवार है। उन्हें नीबूं वर्गीय पौधों में खरतपतवार के जीव विज्ञान और प्रबंधन पर फ्लोरिडा विश्वविद्यालय (यूएसए) से पोस्ट-डॉक फैलोशिप से सम्मानित किया गया था।
2015 में अमेरिका में बने मानद सदस्य
भारत और विदेशों में खरपतवार विज्ञान में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें अमेरिका की वीड साइंस सोसायटी का साथी (मानद सदस्य) बनाया गया। अमेरिकन सोसायटी द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक के लिए यह सर्वोच्च पुरस्कार है जिसे प्राप्त करने वाले डॉ. समुंदर सिंह पहले भारतीय हैं। इंडियन सोसाइटी ऑफ वीड साइंस ने पहले उन्हें 2007 में अपने फेलो पुरस्कार और 2012 में गोल्ड मेडल अवार्ड से सम्मानित किया था। उन्हें 2019 में पश्चिम बंगाल की फसल और खरपतवार विज्ञान सोसायटी और 2020 में हरियाणा एग्रोनोमिस्ट सोसायटी द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। डॉ. सिंह ने 19 अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के समीक्षक के रूप में काम किया और अमेरिका के खरपतवार विज्ञान सोसाइटी के अध्यक्ष द्वारा तीन बार सर्वश्रेष्ट समीक्षक के रूप में उनकी सराहना की गई। डॉ. समुंदर सिंह अपने छात्र समय के दौरान एक बेहतरीन एथलीट भी रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय, राज्य और देश के लिए कई पदक जीते और 1998 में ग्लासगो हाफ मैराथन में भी दौड़ लगाई थी।
ये रही उपलब्धियां
डॉ. समुंदर सिंह ने 1994 में अंतर्राष्ट्रीय खरपतवार विज्ञान सोसायटी में शामिल हुए और उन्हें 2010 में न्यूजलैटर एडिटर का कार्यभार सौंपा गया। वह सोसायटी के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा समाचार संपादक हैं। समाचार पत्र संपादक के रूप में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 2012 में सोसायटी (हांग्जो, चीन) और 2016 में सचिव और न्यूजलेटर संपादक (प्राग, चेक गणराज्य) कांग्रेस द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्हें 2012 में सोसायटी में सचिव भी चुना गया था और 2016 में इसका उपाध्यक्ष चुना गया था। उस समय भी ये पहले भारतीय थे। डॉ. समंदर सिंह ने 79 सम्मेलनों में वैज्ञानिक शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। इसके अलावा उन्हें 133 रेफरी शोध पत्र, 7 रेफरी समीक्षा पत्र, 19 सम्मेलन कार्यवाही पत्र, 115 सम्मेलन सार, 11 पुस्तक अध्याय, 3 पुस्तिका, 20 बुलेटिन, 52 एक्सटेंशन लेख और 56 रेडियो/ टीवी वार्ता प्रकाशित करने का श्रेय दिया जाता है।
पूरे देश के लिए गौरव की बात : प्रोफेसर समर सिंह
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने उनकी इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि यह पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उन्हें गर्व है कि डॉ. समुंदर सिंह ने विश्वविद्यालय में रहते हुए और उसके बाद भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। उन्होंने बताया कि डॉ. समंदर सिंह को दिसंबर 2021 में बैंकॉक (थाईलैंड) में होने वाली 8वीं अंतरराष्ट्रीय खरपतवार विज्ञान कांग्रेस का कार्य सौंपा गया है। उन्होंने इस आयोजन में भाग लेने वाले वैज्ञानिकों के लिए 25 हजार अमरीकी डॉलर की यात्रा सहायता निधि अंतर्राष्ट्रीय खरपतवार विज्ञान सोसायटी व स्थानीय आयोजकों की मदद से एकत्रित की है।

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