हिसार

नरमा कपास में सफेद मक्खी व हरा तेला के प्रति सचेत रहें किसान : कुलपति समर सिंह

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सफेद मक्खी व हरा तेला के प्रति किया आगाह

हिसार,
इस साल नरमा कपास की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है क्योंकि अभी तक फसल अच्छी खड़ी है। इसलिए किसान कपास की अच्छी पैदावार लेने के लिए हर संभव प्रयास करने में जुटे हैं। कई बार किसान कीटनाशक विक्रेता से सलाह लेकर कीट की सही पहचान किए बगैर ही कपास पर कीटनाशक का जरूरत से ज्यादा छिडक़ाव कर रहे हैं, जो गलत है।

यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने किसानों को कीटनाशकों के कपास पर अंधाधुंध प्रयोग न करने की सलाह देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में बारिश कम हुई है, उन क्षेत्रों में नरमा कपास में सफेद मक्खी की समस्या अधिक है जबकि अधिक वर्षा वाले इलाकों में इसकी समस्या कम है। इसके अलावा नरमा कपास पर हरे तेला का भी प्रकोप बढ़ रहा है। कुलपति ने किसानों से कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर ही उक्त कीटों के प्रबन्धन के लिए कीटनाशकों का छिडक़ाव करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि किसान बिना सिफारिश ही कीटनाशकों का फसल पर छिडक़ाव कर देते हैं जिससे उनको आर्थिक नुकसान तो होता ही है, साथ ही पर्यावरण प्रदुषण भी बढ़ता है। उन्होंने कहा कि किसान अपने खेत की निगरानी करते रहें ताकि जैसे ही कीटों का प्रकोप बढ़े तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर कीटनाशकों का छिडक़ाव किया जा सके। उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक किसानों से फोन पर संपर्क में हैं और समय-समय पर उनकी फसलों को लेकर सलाह देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चलते कृषि वैज्ञानिकों को किसानों के साथ खेतों का दौरा संभव नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह से वे किसानों से फोन पर ही संपर्क साध रहे हैं।
इन कीटनाशकों का करें छिडक़ाव
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कपास अनुभाग के कृृषि वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार के अनुसार इस समय नरमा कपास पर सफेद मक्खी और हरा तेला का खतरा बढ़ा हुआ है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि अगर नरमा कपास में 6 से 8 प्रौढ़ प्रति पत्ता व हरा तेला 2 प्रति पत्ता हों तो यह नुकसानदायक है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सफेद मक्खी का प्रकोप इसके निर्धारित आर्थिक स्तर से अधिक हो तो 300 मिलीलीटर रोगोर एवं 1 लीटर नीम्बीसीडीन/अचूक को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिडक़ाव करें। कृषि वैज्ञानिकों अनुसार अगर नरमा कपास के पत्तों पर सफेद मक्खी के शिशु ज्यादा हों तो 240 मिलीलीटर ओबेरोन या 400 मिलीलीटर डाएटा (पाइरीपरोक्सीफेन) का 200 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें। उन्होंने बताया कि हरा तेला के लिए 40 मिलीलीटर ईमीडाक्लोपरिड (कोन्फीडोर) या 40 ग्राम थायामीथोक्साम (एकटारा) प्रति 150-175 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ में छिडक़ाव करें।

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