हिसार

आदमपुर को तेजी से उजाड़ रहा है डिब्बे और फट्टी का खेल

आदमपुर (अग्रवाल)
कोरोना संक्रमण के दौर में आर्थिक मंदी देखने को मिल रही है। आदमपुर में इसी मंदी के बीच इंटरनैट पर सट्टा करवाने वाले यानि डिब्बे वालों की नजर युवा पीढ़ी को बरगलाने में लगी हुई है। कुछ युवा इनके शिकार भी बने हैं और कुछ अप्रत्याशित कदम उठाने को भी मजबूर हो गए। इस सबके बाद भी आदमपुर में इस ‘डिब्बे’ के खेल पर कोई रोक-टोक नहीं, कोई आवाज नहीं उठी। आदमपुर की ये खमोशी आने वाले उजड़े भविष्य का संकेत मानी जा सकती है।

क्या है डिब्बे का गेम
दरअसल, इसे कमोडिटी या वायदा बाजार कहते हैं। सरकार ने इसे कानूनी घोषित कर रखा है। इस बाजार में ना कुछ बिकने के लिए रखा होता है और ना ही कुछ खरीदने के लिए होता है। इसके बाद भी इस पर हर घंटे करोड़ों की क्रय-विक्रय होता है। इसका सीधा अर्थ है कमोडिटी बाजार में केवल और केवल कागजी लेन-देन होता है। लेकिन सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त ये बिजनेस जब 2 नम्बर में होता है तो यह डिब्बा बिजनेस जाता है। कमोडिटी बाजार में पूरा लेन-देन पक्के में यानि चैक और ड्राफ्ट द्वारा होता है। यहां पर पैसे लगाने वाले को पहले ही रिस्क मनी जमा करवाना पड़ता है। वहीं डिब्बा बिजनेस में सब कुछ कच्चे में होता है। यहां रिस्क मनी नहीं देना होती। बस परिवार की हैसियत देखकर रिस्क मनी तय मान ली जाती है।

ये फट्टी गेम पबजी से खतरनाक
डिब्बे के बाजार में फट्टी का खेल अकसर जानलेवा ही साबित होता है। यदि इसे पबजी गेम से ज्यादा खतरनाक कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। फट्टी गेम में डिब्बे का व्यापार करने वाला कच्चे में पैसे लेकर फट्टी पर जमा—खर्च करता है। ये फट्टी का गेम पूरी तरह से गैरकानूनी होता है। इस फट्टी ने आदमपुर के कई व्यापारियों को भागने पर मजबूर किया है और अब ये फट्टी युवाओं को निगलने की तैयारी कर रही है।

कैसे होते हैं शिकार
कमोडिटी बाजार में भाव हर पल भाव ऊपर-नीचे होता रहता है। जल्दी धनवान बनने के चक्कर लोग बाजार में पैसा लगाते हैं और अकसर डूब जाते हैं। आदमपुर में 60 प्रतिशत से ज्यादा काम फट्टी पर होता है यानि यहां पर कच्चा का काम ज्यादा होता है। लॉकडाऊन के दौरान लोगों ने गोल्ड और सिल्वर में काफी पैसा लगाया। शुरुआती दौर में अच्छी कमाई हुई और बाद में सब डूबते चले गए। लॉकडाऊन के दौरान ही काफी लोगों को फट्टी की गहरी मार लगी है।

लगनी चाहिए रोक
फट्टी के गेम पर रोक लगानी समय की आवश्यकता कही जा सकती है। इस समय मंदी का दौर चल रहा है। काम-धंधे ठप्प पड़े हैं। ऐसे में डिब्बा और फट्टी युवाओं को विशेषतौर पर आकर्षित कर रहा है। इसी आकर्षण में फंसे युवा काफी कर्ज के तले दबे चले जा रहे हैं। व्यापार मंडल को अब युवाओं को इस दलदल से बाहर निकालने के लिए बेहतर प्रयास करने चाहिए। सार्वजनिक रुप से एक अभियान चलाकर डिब्बे और फट्टी का बायकाट करना चाहिए। सीधे-सीधे फरमान जारी होना चाहिए कि फट्टी पर कर्जवान बने युवाओं का पैसा परिवार द्वारा नहीं भरा जाएगा ताकि डिब्बे वाले युवाओं को इस दलदल में ना घसीटे।

खेल खत्म करो डिब्बे का
युवाओं को भी चाहिए कि वे डिब्बा चलाने वालों के मकडज़ाल में फंसकर गलत कदम उठाने के स्थान पर उन कानूनी कार्रवाई का सहारा ले। डिब्बा और फट्टी का बिजनेस चलाना पूरी तरह से गैरकानूनी है। इनके खिलाफ शिकायत करने पर पुलिस की इकोनॉमिक सैल द्वारा तुरंत कार्रवाई की जाती है। यदि आगे आकर इस प्रकार की कार्रवाई की जायेगी तो ही डिब्बे और फट्टी से आदमपुर के लोगों को निजात मिलेगी।

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