हिसार

सरकारें बदलती रही लेकिन नहीं हुई जनसमस्याएं दूर : श्योराण

हिसार,
हिसार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एवं सेक्टर 16-17 रेजीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेन्द्र श्योराण ने प्रदेश सरकार, शहर की शहर एवं जिला प्रशासन से मांग की है कि वे वर्षों से चली आ रही जनता की समस्याओं व मांगों का निपटारा करें। उन्होंने कहा कि अक्सर चुनाव के बाद सरकारें बदलती रहती है लेकिन समस्याएं वर्षों से वही रहती है, जिससे शंका उठती है कि आखिर विभिन्न सरकारों में बैठे लोग करते क्या हैं और आए दिन हो रही अधिकारियों की बैठकों का फायदा क्या है।
जितेन्द्र श्योराण ने कहा कि गर्मियों का मौसम शुरू होते ही पानी व बिजली की किल्लत शुरू हो गई है। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है। हर सरकार में हर गर्मी के मौसम में ऐसा होता रहा है। यही नहीं, पेयजल की दिक्कत तो सर्दियों के मौसम में भी हो जाती है। गर्मियों के बाद जब बरसात का मौसम शुरू होता है तो फिर जलभराव की समस्या शुरू हो जाती है। मौसम शुरू होने से पहले तो अधिकारी बाढ़ बचाव प्रबंधों का जायजा लेते हैं, लेकिन बरसात के बाद जब शहर के विभिन्न हिस्सों में जलभराव होता है तो कोई अधिकारी या विभाग जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं होता। इसी तरह कहीं बसों की समस्या है तो कहीं शिक्षकों की तो कहीं चिकित्सकों की। इन समस्याओं के लिए कोई एक पार्टी की सरकार नहीं बल्कि समय-समय पर सत्ता संभालने वाली पार्टियां व विपक्ष में रहने वाले नेता जिम्मेवार है। हरियाणा जैसे छोटे से प्रदेश की जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाकर समस्याएं दूर करना ज्यादा मुश्किल नहीं है लेकिन नीति व नीयत ठीक न होने के कारण इस तरह की समस्याएं वर्षों से मुंह बाये खड़ी है। ऊपर से आए दिन होने वाली अधिकारियों की बैठक से भी जनता परेशान है। ना तो कार्यालयों में अधिकारी मिलते और ना ही जनता की समस्याओं का समाधान हो पा रहा।
जितेन्द्र श्योराण ने कहा कि अक्सर देश, प्रदेश व शहर तक की सरकारें बदलती रहती है, सरकार में आने के लिए नेता लोग तरह-तरह के दावे व वादे करते हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने वादों व दावों को भूल जाते हैं।
यही नहीं, चुनाव हारने के बाद नंबर दो पर रहने वाले भी जनता की समस्याओं व मांगों से चुप्पी साध लेते हैं जो गलत है, क्योंकि जिम्मेवारी उनकी भी बनती है। आखिर जनता ने उन्हें वोट दिये हैं तभी तो वे दो नंबर पर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनता को चाहिए कि वे सत्ता में आने वाले नेताओं व नंबर दो पर रहने वाले नेताओं से अपनी जनसमस्याओं के बारे में जवाब-तलबी करें ताकि उनके समाधान में वे रूचि दिखाए। यदि जनता जागरूक होकर ऐसा नहीं करेगी तो नेता लोग इसी तरह अपने भाषणों पर तालियां बजवाते रहेंगे और समस्याएं व मांगे ज्यों की त्यों रहेगी। उन्होंने जनता से अपील की कि जागरूक होकर अपने हित पहचाने और एक मंच पर आकर अपने हकों के लिए आवाज बुलंद करें।

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