आदमपुर,
सरकार द्वारा लाए जा रहे तीन कृषि विधेयकों को लेकर किसान और व्यापारी सरकार से नाराज चल रहे हैं। जगह—जगह धरने—प्रदर्शन हो रहे हैं। व्यापारी मंडी बंद करके अपना विरोध जता रहे हैं। दूसरी तरफ यदि अगर ध्यान दिया जाए तो तीन कृषि विधेयकों की कुछ व्यवस्था पहले से ही गैरकानूनी रुप से लागू है।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य बिल
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल के तहत किसान अपनी फसल मंडी से बाहर भी बेच सकेगा। यह व्यवस्था पिछले 10—15 साल से गांंवों में चल रही है। अब मंडी में आना वाला माल किसान कम और गांव—गांव में फैले व्यापारी ज्यादा लेकर आ रहे हैं। आढ़तियों के पास इस समय किसानों के खाते कम है जबकि गांव से माल खरीदकर मंडी में बेचने वाले व्यापारियों के खाते ज्यादा है। किसान फसल को निकालकर खेतों में ही ग्रामीण व्यापारियों को बेच रहे हैं। ये व्यापारी तोल में किसानों के साथ कई बार हेराफेरी भी करते हैं। इसी प्रकार हरियाणा की अधिकतर मंडियों में राजस्थान के व्यापारी आकर माल बेच रहे हैं।
ऐसे में यदि किसानों को कानूनी रुप से ये सुविधा मिलेगी तो जाहिर है कि पैसा भी ज्यादा मिलेगा। लेकिन यहां किसानों को दिक्कत यह है कि सरकार आने वाले समय में इस विधेयक की आड़ में नतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को समाप्त कर देगी।
संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल
इस बिल के अंर्तगत सरकार किसानों और खरीद एजेंसियों के बीच से बिचौलियों को खत्म करना चाहती है। यह व्यवस्था काफी समय से गैरकानूनी तरीके से चल भी रही है। कई मिल मालिक किसानों से सीधे माल दो नम्बर में खरीद भी रहे हैं। विशेषतौर पर सरसों और की फसल में ये व्यवस्था देखने को मिल रही है। मार्केट फीस बचाने के लिए कई मिल मालिक मार्केट कर्मचारियों से मिलीभगत करके सीधा किसानों से माल खरीद भी रहे है। इसमें एक तय राशि मार्केट कमेटी कर्मचारियों को दी जाती है। इससे किसानों को तो अधिक लाभ नहीं मिलता लेकिन मिल मालिक को काफी फायदा होता है। यदि ये बिल पास हो जाता है तो कई प्राइवेट कम्पनियां किसानों के खेत में आकर फसल को उचित दाम में खरीदने के लिए आएगी। इससे किसानों को अच्छी किमत मिल सकती है। इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की व्यवस्था भी गांवों में कई दशकों से चलती आ रही है। इन्हें चौथिया और आधिया के नाम से पुकारा जाता है। इसके अलावा ठेके पर जमीन देने का विधान भी दशकों से चल रहा है।
आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
इस विधेयक के पास होने के बाद अनाज, खाद्य तेल, आलू-प्याज को आनिवार्य वस्तु नहीं रह गई हैं। इनका अब भंडारण किया जाएगा। यह बिल किसान विरोधी तो नहीं लेकिन आमजन विरोधी जरुर हो सकता है। इसमें बड़ी कम्पनियां किसानों से पूरा माल खरीदकर गोदाम में स्टॉक कर लेगी और फिर मनमाने भाव में आमजन को बेचेगी। दूसरी तरफ देखा जाए तो इस समय में गैरकानूनी रुप से भंडारण चल रहा है। आलू—प्याज वर्तमान समय में बिना किसी विशेष कारणों के महंगा हुआ है। इसका मूल कारण अवैध रुप से हुआ भंडारण ही है।
ऐसे में साफ है कि सरकार के तीनों विधेयक वर्तमान समय में गैरकानूनी रुप से समाज में विद्यमान है। सरकार इनको कानूनी रुप से पास कर रही है। ऐसे में किसानों और आमजन को सेफ्टी देने के लिए सरकार को न्यूनतक समर्थन मूल्य और आवश्यक वस्तु भंडारण को लेकर स्थिती साफ करनी चाहिए। यदि इन 2 बातों को सरकार साफ कर देती है तो किसान और आमजन इन विधेयकों का विरोध नहीं करेंगे।