राजस्थान हरियाणा हिसार

स्वामी सच्चिदानंद जी ने मोटरसाइकिल व इंजन का हवाला देकर किया नशे के प्रति जागरूक

पढ़े—लिखे युवाओं से नशा छोड़ने व दूसरों को भी गर्त से निकालने का किया आह्वान

हिसार, (राजेश्वर बैनीवाल)।
बिश्नोई समाज के युवा संत एवं श्री गुरू जम्भेश्वर भगवान के निर्वाण स्थल लालासर साथरी के स्वामी सच्चिदानंद जी ने युवा वर्ग को नशे से दूर रहने के साथ—साथ नशे की गर्त में फंस चुके लोगों को इससे बाहर निकालने का आह्वान किया है। उन्होंने युवा वर्ग को मोटरसाइकिल व इंजन का उदाहरण देकर बड़े ही सुंदर ढंग से समझाया है।


स्वामी सच्चिदानंद ने समझाया कि हम बाजार जाते हैं, 50 हजार की बाइक लेते हैं और बाइक के साथ एक गाइड बुक होती है, जिसमें लिखा होता है कि इसमें कौन सा तेल डालना है। यदि हम उस गाइड की उपेक्षा करके पेट्रोल की जगह डीजल या केरोसिन उसमें डाल देेंगे तो वह स्टार्ट नहीं होगा और इंजन भी खराब हो जाएगा। इसी तरह हमारे धर्म ग्रंथों में भी एक गाइड लाइन बनाई गई है। गुरू जम्भेश्वर भगवान ने 29 नियमों की एक गाइड लाइन बनाई है, उसमें बताया है कि हमें क्याा खाना है, क्या पीना है। गुरू महाराज के शब्द का हवाला देते हुए स्वामी जी ने कहा कि ‘अन्नू, धनू, दूधूं, दहियूं, घीयूं, महियूं जै लाभंता भूख मरे तो जीवन बिन ही सरीयो’ लेकिन मनुष्य खाते समय विचार नहीं करते कि हमारा पांचन तंत्र (इंजन) इसे पचा पाएगा या नहीं। अनेक प्रकार के नशे, अनेक प्रकार की बुराई, अनेक प्रकार की गंदगी, जिसे पशु भी खाने से परहेज करता है लेकिन गलत विचार के चलते मनुष्य वह सब कुछ खा बैठता है।
स्वामी सच्चिदानंद ने कहा कि आज के पढ़े—लिखे युवा जिनके पास एमए, बीए, बीएड जैसी बड़ी—बड़ी डिग्रियां हैं, वे भी नशे पर लिखी चेतावनी को दरकिनार करके कोई धुएं के रूप में, कोई लिक्विड के रूप में या कोई मुंह से चबाकर खाता रहता है। अनेक प्रकार के नशे में हमारे युवा भाई बहन घिरते जा रहे हैं। हम निरंतर टीवी, समाचार पत्रों व अन्य समाचार माध्यमों से समाचार सुनते व पढ़ते हैं जिनमें पता चलता है कि नशे की लत के कारण इतनी जानें गईं, इतने परिवार बिखर गए। बड़े से बड़ा प्रतिष्ठित व्यक्ति भी इस नशे की लत में गिरने के बाद बहुत हीन महसूस करने लगता है। उन्होंने कहा कि कुदरत ने हमारे अंदर एक ​इनबिल्ट सिस्टम दिया है कि जब कोई पहली बार नशा करता है और जब उसका नशा उतरता है तो उसके अंदर हीनता महसूस होती है, वह सोचता है कि मैने बहुत गलत किया है, ऐसा नहीं करना चाहिए था। ये जो ईश्वर का दिया हुआ इनबिल्ट सिस्टम है, ये हमें कहता है कि ये हमारे लिए अच्छा नहीं है।
स्वामी सच्चिदानंद जी ने कहा कि तंबाकू खाने वाला जब तंबाकू खाता है और एक दाना भी पेट में चला जाता है तो वमन हो जाती है, उल्टी आने को हो जाती है। जैसे हम बाइक में दूसरा फ्यूल डालते हैं और वो स्टार्ट नहीं होती या फिर बेक प्रैशर हो जाती है, उसी तरह हमारा पेट भी मना करता है लेकिन फिर भी हम सूचनाओं को दरकिनार करके नशे की लत में पड़ जाते हैं जो ठीक नहीं है। स्वामी जी ने आह्वान किया कि युवा वर्ग व आम आदमी जागरूक बनें, नशे से दूरी बनाएं और अपने साथी, मित्र जो इस गर्त में पड़ गए हैं, उनका हाथ थामें और उन्हें नशे की गर्त से बाहर निकालें।

पुलिस के सेवानिवृत पीआरओ भी हुए बिश्नोई समाज के मुरीद

नशे के प्रति स्वामी सच्चिदानंद के प्रवचनों की हिसार पुलिस के सेवानिवृत पीआरओ हरीश भारद्वाज ने भी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि नशा केवल शरीर का ही नाश नहीं करता बल्कि यह एक सामाजिक बुराई भी है। नशा करने वाला व्यक्ति अपना व परिवार का नाश कर बैठता है वहीं समाज में भी उसकी कोई प्रतिष्ठा नहीं रहती। उन्होंने कहा कि वे भी कई बार गुरू जम्भेश्वर भगवान के धामों पर पूजा—अर्चना के लिए गए हैं और बिश्नोई समाज व धर्म को बहुत नजदीक से देखा है, जो बहुत अच्छा है। बिश्नोई समाज के धर्म नियम मानव जीवन के कल्याण के लिए हैं, इसलिए हर मनुष्य को इन नियमों पर चलना चाहिए।

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Jeewan Aadhar Editor Desk